दुनिया में सबको
द्वेष तो दीखता है
नेह स्नेह अनुराग
कहाँ देखता है ?
रार दिखती है ...
तकरार दिखती है
फटकार दिखती है
स्वीकार दिखती है
लेकिन जो लड़ाई
मैं लड़ रहा हूँ
आप के लिए
अपने आप से
दूसरों को वह
दिखे या न दिखे
आप को भी
यह कहाँ दीखता है
कब देखा है आपने
रिस्ता हुआ शरीर
बहता हुआ लहू
फूटा हुआ माथा?
औरों की तरह
आपने भी तो
बना दिया है
मुझे एक तमाशा
- डॉ जयप्रकाश तिवारी
द्वेष तो दीखता है
नेह स्नेह अनुराग
कहाँ देखता है ?
रार दिखती है ...
तकरार दिखती है
फटकार दिखती है
स्वीकार दिखती है
लेकिन जो लड़ाई
मैं लड़ रहा हूँ
आप के लिए
अपने आप से
दूसरों को वह
दिखे या न दिखे
आप को भी
यह कहाँ दीखता है
कब देखा है आपने
रिस्ता हुआ शरीर
बहता हुआ लहू
फूटा हुआ माथा?
औरों की तरह
आपने भी तो
बना दिया है
मुझे एक तमाशा
- डॉ जयप्रकाश तिवारी
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