Wednesday, August 8, 2012

प्रेम गीत


प्रेम गीत को गाता हूँ मै
राधा - राधा रटता हूँ मैं
मजबूरी यह नहीं है मेरी
खुद प्रेम की यह कमजोरी.

यह प्रेम चाहता आश्रय केवल
बिन आश्रय नहीं टिक सकता
अब हुआ प्रेम है राधा से जब
क्या कभी वह मिट सकता?

सांसारिक यह प्रेम क्षणिक 
यह प्रेम नाम पर धोखा है.
नाम-रूप सब मिटने वाले
यह भ्रम है, एक झरोखा है.

कान्हा तो केवल प्रेम पियारा
सब ग्रंथन में देखो उजियारा 
जिसने ढूँढा उसने ही पाया
जानि लेउ सब जाननिहारा.

इस भाव गीत को गाता हूँ मैं
नंगा यह ढोल बजता हूँ मै
अश्रुधार बहता रहता हूँ मैं
विरह लिए छपिटाता हूँ मैं.

जानने वाले जानते हैं सब
हालत मेरी पहचानते हैं सब
अब आयेंगे वे खुद दौड़े-दौड़े
इस बात को भी जनता हूँ मैं.

प्रेम गीत को गाता हूँ मै
राधा - राधा रटता हूँ मैं
मजबूरी यह नहीं है मेरी
खुद प्रेम की यह कमजोरी.