मृत्यु मील का पत्थर है यदि कोई
जीवन तूने जिया है ।
मृत्यु है इसका प्रबल प्रमाण कि
तूने क्या-क्या किया है ॥
मृत्यु यदि इतिहास है तो जानो
जीवन उज्ज्वल प्रकाश है ।
लाखों रोज मरते यहाँ उनका मरना
जीवन का उपहास है ॥
रंग श्यामल हो या गोरा हो
भस्मीभूत सभी को होना है ।
कुछ भस्म बहाये जाते हैं, कुछ सिर से लगाए जाते हैं ॥
कुछ बुत बनकर ही रहते हैं कुछ
मूर्ति पत्थर के बनते हैं ।
देवत्व तक कुछ उठ जाते हैं, कुछ दानव बनकर रहते हैं ॥
पत्थर ईश्वरत्व तक उठा मगर
कितनों ने सुना उसका स्वर?
थोड़ा भी समझ यादि वे जाते दानव
सा जीवन क्यों बिताते?
डॉ. जयप्रकाश
तिवारी