Tuesday, February 8, 2011

पूजा सरस्वती की: महिमा धन का




बच्चों की परीक्षा की तैयारी
जगह-जगह अब दीख रही है.
कोचिंग जाकर सुबह सबेरे 
न जाने क्या सीख रही है?
कुछ करने को 'सरस्वती पूजा',
सड़कों पर उतावले दीख रहें है.
सरस्वती हैं 'स्वर की देवी',
विद्या - वाणी - ज्ञान आधार.
कभी विद्या की पूजा होती थी,
धन की पूजा होती है आज.
सरस्वती के मंडप में भी
देखी धन की महिमा आज.
धनिक वर्ग है कला विहीन क्यों?
सुविधाभोगी संवेदनाहीन क्यों?
कैसी दुविधा क्या माया है?
आज समझ में आया है कुछ,
क्यों कहीं धूप कहीं छाया है?
छोड़ 'हंस' की विवेकी प्रकृति,
'उल्लू आदर्श' जो अपनाया है.