कविता सन्देश
अन्तः का
पहुंचाती है
जन-जन तक
कविता होती है
विधि सापेक्ष;
विधि निरपेक्ष ,
कुछ उसी तरह
जैसे विधि ही है
सापेक्ष,निरपेक्ष.
अन्तः का
पहुंचाती है
जन-जन तक
कविता होती है
विधि सापेक्ष;
विधि निरपेक्ष ,
कुछ उसी तरह
जैसे विधि ही है
सापेक्ष,निरपेक्ष.
काव्य
विधि सम्मत होती
विरोधक भी होती,
यह निरपेक्ष, शाश्वत
शांत - प्रशांत होती,
दैहिक - दैविक-
भौतिक भी होती.
काव्य और
साहित्य प्रायः
आन्दोलन करते
नहीं, कराते है.
ये कभी जनता को
जनार्दन के लिए,
कभी विधि के लिए,
तो कभी जनार्दन को
जगत के लिए भी
प्रेरित किया करते.
साहित्य प्रायः
आन्दोलन करते
नहीं, कराते है.
ये कभी जनता को
जनार्दन के लिए,
कभी विधि के लिए,
तो कभी जनार्दन को
जगत के लिए भी
प्रेरित किया करते.
काव्य कभी भी
राजनीति करती नहीं,
राजनीतिज्ञों की
कसती नकेल है,
काव्य जगत को
नकारने वाला
यहाँ पास नहीं
नितांत फेल है.
डॉ जयप्रकाश तिवारी