दर्द -
एक रस है
कहीं सान्द्र
कहीं तरल है
सरल दर्द देखा
गरल दर्द देखा
सरस दर्द देखा
निष्ठुर दर्द देखा
निष्ठुर दर्द के
नेत्रों में हिय-रस
पूरा - पूरा घोल
दिया था
दर्द बना था
पाहन का
उस पर कुछ भी
न असर हुआ था
दर्द के कई पोल हैं
दर्द में कई होल है
ठोकर मार के देखा
दर्द यह
आत्मघाती गोल है ..
(क्रमशः जारी है )
डॉ. जयप्रकाश तिवारी