Thursday, January 22, 2015

क्या दर्द वही जो...

क्या दर्द वही जो छलक पड़ता? 
क्या दर्द वही जो लोचन बहता? 
क्या  वही जिससे मन में गुबार 
यदि दर्द यही, तो क्या है वह ?
अंतर में जो घुटता रहता है 
आता ही नहीं बाहर  को जो 
विदग्ध लहर जो जःता है 
औ पीकर नयनों का खारा जल
उसे शुष्क किये जो रहता है 

डॉ जयप्रकाश तिवारी