और दो टूक प्रश्न जिसमे -
छिपा है (भाग -१) का पूरा सटीक उत्तर:
आखिर ब्लोगर यह सब क्यों करता है..?
किसके लिए करता है, बिल्कुल मुफ्त में?
समाज से प्रतिदान में उसे मिलता है क्या?
और वह समाज को अंततः देता है क्या..?
कितने अल्पज्ञं हैं वे जो यह कहते है,
ब्लोगर लड़ता है - 'नूर कुश्ती',
सरकार के संग, सत्ता के संग.
करता है दोहन संवेदनाओं का.
समझ में नहीं आता,.क्या उन्हें पता भी है
कि संवेदना होती है क्या? यह आती कहाँ से?
और जाती कहाँ को है?....वह करती क्या है.?.
हाँ, ब्लोगर एक रचनाकार है,
सर्जक है, संवेदनशील विचारक है -
वह करता है विचार, राष्ट्र की समस्याओं पर,
समाज की विकृतियों, उसकी समस्याओं पर,
शासन-प्रशासन की सुव्यवस्था-कुव्यवस्था पर,
प्राकृतिक आपदा, असके कारण - निवारण पर.
वह निःशुल्क है, बाजारू या व्यापारी नहीं .
कनक और कामिनी उसकी कमजोरी नहीं,
इसलिए उसके पास अपनी कोई तिजोरी नहीं..
वह कबीर क़ी
प्रज्ज्वलित मशाल का संवाहक,
और समाज पथ एक कुशल धावक है..
समाज को बनाने, पुनः-पुनः सवारने
और उसे मिटाने देने क़ी दवा है.
वह जहां विज्ञान रूप में - 'सिद्धांत है',
वहीँ प्रज्ञान रूप में - 'समाधान है',
और संत रूप में - 'अचूक दुआ है'..
हाँ, ब्लोगर एक सुकरात है जो
गली - चौराहे पर खडा मिलता है,
वह हर आने - जाने वाले के तन
और सुप्त मन को झकझोरता है.
ब्लोगर एक ब्रूनो है जो सत्य बोलता है,
जलाये जाने, जहर पीने से कब डरता है?
ब्लोगर एक न्यूटन है, वह आइन्स्टीन
और हाकिंग है जो प्रकृति के रहस्य को
परत दर परत खोलता है..जो अणुओं
और परमाणुओं में स्पंदन ढूंढता है..
जमीं और आसमा का गति मापता है.
तो एक ब्लोगर समाज वैज्ञानिक है जो
समाज और जनचेतना को गति देता है.
ब्लोगर, मीरा के पाँव क़ी घूँघरू है,
जो कभी रूठती है, कभी खनकती है.
वह जहाँ राधा क़ी 'चहकती कूक' है वहीँ,
उर्मिला और यशोधरा क़ी 'गहरी हूक' है.
ब्लोगर एक कुशल आचार्य भी है जो
अध्यात्म और प्रज्ञान की गूढता क़ी
कठिन गाँठ को सर्व के लिए खोलता है .
ब्लोगर,
आज बाजारू हो चुके चौथे स्तम्भ का,
एक सार्थक विकल्प और युग की मांग है.
ब्लोगर लोकतंत्र क़ी ज्वलंत आवाज... है,
राष्ट्र क़ी संकृति, संस्कार का तेजस्वी ताज है.