Friday, April 6, 2012

भाई मेरे ! मरो नहीं !


कहना चाहता  हूँ मै
देश पर मर मिटने का 
वक्तव्य देने वालों से -
भाई मेरे !  मरो नहीं !

जीवन यह अमूल्य है
जीओ, दीर्घजीवी बनो!
लेकिन जीकर दिखाओ
अब पीठ मत दीखाओ.

दीपक हाथ पर रख कर 
दूसरों को राह मत दिखाओ.
हम स्वयं केंगे अनुसरण 
राह सीधी चल के तो दिखाओ.

हथेली पर सरसों मत उगाओ,
खेतों में उगी तिलहन और 
दलहन की फसल बचा लो.
उगने वाला किसान तड़प रहा
उसे कुछ दवा तो दिला दो.

देश पर मर मिटने का कोरा 
वक्तव्य देने से कुछ नहीं होगा.
मरते हुए देश को बचा लो.
घुटते - सिसकते संविधान को 
अपने दायित्व और सदाचरण की
दो घूँट पयस्वनी तो पिला दो.

हथेली पर दही जमकर 
अब तुम यहाँ खड़े क्यों हो?
जनता हूँ रणछोड़ हो तुम!
हाथ में रस्सी लिए खड़े क्यों हो?

अकर्मण्य हो तो बने रहो,
यहाँ शेखी तो मत बघारो.
जज्बातों में नहीं बहनेवाला कोई.
है वादा, साथ निभाएंगे भरपूर
पहले जो कहते हो कर के तो दिखा दो.
आदर्श स्वयम बन कर तो दिखा दो.

            - डॉ. जयप्रकाश तिवारी