Wednesday, August 10, 2016

दर्द

दर्द -
झुंझला देता
झुलसा देता 
गला देता
जला देता
और कभी यही
अंतर्मन को
धीमे - धीमे
थपकी डे
सहला देता
बहला देता
सैर न जाने
कहाँ - कहाँ की
पल भर में ही
ये करा देता ..
डॉ जयप्रकाश तिवारी