कविता
और गीत
तो अन्यतम
साधना है -
शब्दों का.
और शब्द?
शब्द तो
आराधना है -
अक्षरों का.
इन अक्षरों
और शब्दों के
युग्म ने ही रचा है -
साहित्य, सदग्रंथ
और सृष्टि ग्रन्थ .
ये अक्षर ही हैं
जिन्हें हम कहते
"पञ्च महाभूत"
'अ' से अग्नि,
आ' से आकाश
'ग' से गगन,
ज' से जल
'स' से समीर,
'प' से प्रकाश
क्या इन्ही से
नहीं हुआ है
इस सृष्टि
का विकास
रचा सृष्टि ने
मानव को
मानव की अपनी
अलग सृष्टि है.
अपनी - अपनी
व्याख्या है अब
परख - परख
की अपनी दृष्टि.