अरे ! क्या हुआ? कैसे हुआ यह?
अरे ! इतना होनहार तेजस्वी बालक
इस ट्रेन से कट कर मर गया !
लोग तरह तरह की चर्चा कर रहे थे
कुछ प्रेम मे पागल, व्यथित दीवाना
तो कुछ सनकी पढ़ाकू बता रहे थे ,
तभी उसके एक मित्र ने पर्दाफास किया
फोर फस्ट है, इंटरव्यू की तैयारी कर रहा था
पिछले कई बार से इंटरव्यू से लौट रहा था
अबकी बार अर्जुन की तरह 'आँख पर लक्ष्य'
लगाने का कठिन संधान कर रहा था
अब 'लक्ष्य ' ही देखता है, 'केवल लक्ष्य' ।
इस बार उसी का शिकार हुआ
इसके ट्रेन का प्लेटफॉर्म बदल गया
इसने लक्ष्य देखा और सीधे चल पड़ा
दायें बाएँ देखने की आदत छोड़ दी थी इसने ,
और इसका परिणाम आपने सामने रहा।
इस दुर्घटना का कारण द्रोणाचार्य हैं
सब लोग मिलकर आवज उठाओ,
द्रोणाचार्य को सजा दिलाओ
उनकी तकनीक आज एकदम फेल है
आज लक्ष्य केवल वह भेदता है जो
'लक्ष्य' को नहीं, सत्ता - शासन को देखता है ।
कार्यालय, बाबू और आसान को देखता है ॥
डॉ जयप्रकाश तिवारी