Friday, June 26, 2015

मानव कौन और दानव कौन?

तू शर्म हया की 
बात न कर 
ये तो कब की 
बिक चुकी यहाँ,
यहाँ सूरत बिकती
यहाँ सीरत बिकती 
बिकता है 
यहाँ भोलापन ।
सब कुछ मिलता 
यहाँ दौलत से 
मिलेगा न कुछ
यदि पास है केवल 
कोरा पावन मन ॥
बिकने वाला 
यहाँ मानव है तो
खरीदने वाला भी 
मानव ही है,
बिकने वाले के
वस्त्र श्वेत 
क्रेता के उससे 
अधिक श्वेत ।
यहाँ कठिन हो गया 
करना  भेद  
यहाँ मानव कौन?
और दानव है  कौन?

डॉ जयप्रकाश तिवारी