पूछा है किसी ब्लोगर ने मुझसे,
चित्र में आप दुकेले क्यों हैं?
मैंने कहा ध्यान दो भाई!
छिपा है प्रश्न में, प्रश्न का उत्तर.
हम 'दो' हैं और हमीं 'अकेले',
मिलकर दोनों बने - 'दुकेले'.
केवल 'जय' मै, वे 'प्रकाश' हैं
नाम तभी तो जय प्रकाश है.
'शिव' अधूरा 'सती' बिना जब
'शक्ति' बिना वह 'शव' है.
है 'प्रकाश' सब उनसे ही,
वरना केवल 'जय' है.
करते पुष्टि शास्त्र सब इसकी,
कहते हो जिसको तुम 'ईश्वर'
बात अधूरी क्यों करते हो?
वह तो है - 'अर्द्ध नारीश्वर'.