१ - कौन समझे
माँ-बाप का दरद
बेटी के बिना
२ - रोशन करे
दोनों ही कुल को जो
बेटी है वह
३ - बेटियाँ शान
सँवारे दोनों कुल
संस्कार यह
४ - साकार करे
स्वप्न परिवार का
बेटी ही वह
५ - मर जायेगी
संवेदनशीलता
बिन बेटी के
६ - कौन कहता
लडकियां दुर्बल?
जूझ के देख
७ - बगिया यह
हरी-भरारी रहती
बेटी से ही
८ - घर महके
बेटी और बहु से
अब दो कहाँ?
९ - तोड दो हाथ
दमनकारी है जो
रक्षक तुम.
१० - मान लो अब
भेद न कोई अब
बेटा - बेटी में.
डॉ. जयप्रकाश तिवारी