कौन हो तुम? सत्य या आभास
कौन हो तुम ? ताम या प्रकाश
कहाँ हो ? सन्निकट या सुदूर
सर्वशक्तिमान हो या हो मजबूर>
क्यों है तुम्हारी सृष्टि में अराजकता?
जबकि तेरी ही शिक्षा है नैतिकता
दरिंदों में क्यों नहीं जगाते नैतिकता ?
कैसे दयालु? छोड़ देते अबला को तड़पता
हे सर्वशक्तिमान ! कृपालु ! दयानिधान !
यह तेरा कैसा है - 'संविधान - विधान' ?
जगा दो प्रभु सौंदर्य - शिवत्व - नैतिकता
फिर देखो यही कितना सुगन्धित महकता
डॉ जयप्रकाश तिवारी
" कृण्वन्तो विश्वमार्यम् ।" अर्थात् विश्व में सभी सज्जनों का निवास होगा, यही वचन उन्होंने दिया है ।
ReplyDeleteshaakuntalam.blogspot.in
aabhar
Deletehttp://bulletinofblog.blogspot.in/2014/09/blog-post_13.html
ReplyDeleteaabhar
Deletebahut khoobsoorat khyal
ReplyDeleteबहुत सुन्दर आवाहन...
ReplyDeleteThanks
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