हम भटक गए है आज लक्ष्य से,
निज संस्कृति से हम दूर हो रहे.
अध्यात्म शक्ति को भूल गए,
भौतिकता में ही मशगूल रहे.
पूर्वजों की उपलब्धियों में,
छिद्रान्वेषण ही नित करते रहे.
परिभाषाएं स्वार्थ परक,
परम्पराएँ सुविधानुकुल गढ़ते रहे
मोक्ष - मुक्ति, निर्वाण - कैवल्य,
फना -बका में ही उलझे रह
श्रेष्ठतर की प्रत्याशा में,
वर्चस्व की कोरी आशा में;
अंहकार - इर्ष्या में जलकर,
अरे ! देखो क्या से क्या हो गए?
बनना था हमें 'दिव्य मानव',
और बन गए देखो- मानव बम'.
इससे तो फिर भी अच्छा था,
हम 'वन - मानुष' ही रहते.
शीत-ताप से, भूख -प्यास से,
इतना तो नहीं तड़पते.
अरे! भटके हुए धर्माचार्यों,
निज संस्कृति से हम दूर हो रहे.
अध्यात्म शक्ति को भूल गए,
भौतिकता में ही मशगूल रहे.
पूर्वजों की उपलब्धियों में,
छिद्रान्वेषण ही नित करते रहे.
परिभाषाएं स्वार्थ परक,
परम्पराएँ सुविधानुकुल गढ़ते रहे
मोक्ष - मुक्ति, निर्वाण - कैवल्य,
फना -बका में ही उलझे रह
श्रेष्ठतर की प्रत्याशा में,
वर्चस्व की कोरी आशा में;
अंहकार - इर्ष्या में जलकर,
अरे ! देखो क्या से क्या हो गए?
बनना था हमें 'दिव्य मानव',
और बन गए देखो- मानव बम'.
इससे तो फिर भी अच्छा था,
हम 'वन - मानुष' ही रहते.
शीत-ताप से, भूख -प्यास से,
इतना तो नहीं तड़पते.
अरे! भटके हुए धर्माचार्यों,
हमें नहीं स्वर्ग की राह दिखाओ.
कामिनी- कंचन, सानिध्य हूर का,
कामिनी- कंचन, सानिध्य हूर का,
भ्रम जाल यहाँ मत फैलाओ.
दिव्यता की बात भी छोडो,
दिव्यता की बात भी छोडो,
हो सके तो; मानव को मानव से जोडो.
अब रहे न कोई 'वन मानुष',
अब बने न कोई ' मानव बम'.
कुछ ऐसी अलख जगाओ,
कुछ ऐसी अलख जगाओ,
दिव्यता स्वर्ग की; यहीं जमीं पर लाओ.
अब हमको मत बहलाओ ...
अब हमको मत बहलाओ ...
दिव्यता स्वर्ग की; इसी जमीं पर लाओ.
श्रेष्ठतर की प्रत्याशा में,
ReplyDeleteवर्चस्व की कोरी आशा में;
अंहकार - इर्ष्या में जलकर,
अरे ! देखो क्या से क्या हो गए?... कुछ नहीं शेष
अब रहे न कोई 'वन मानुष',
ReplyDeleteअब बने न कोई ' मानव बम'.
कुछ ऐसी अलख जगाओ,
दिव्यता स्वर्ग की; यहीं जमीं पर लाओ.
अब हमको मत बहलाओ ...
दिव्यता स्वर्ग की; इसी जमीं पर लाओ.
बोधगम्य काव्य सर्वथा सम्मान के निहितार्थ लिए प्रतिष्ठा का हकदार है , शुभकामनाये डॉ साहब ...
अब रहे न कोई 'वन मानुष',
ReplyDeleteअब बने न कोई ' मानव बम'.
कुछ ऐसी अलख जगाओ,
दिव्यता स्वर्ग की; यहीं जमीं पर लाओ.
मनोभाव का सुंदर सम्प्रेषण,,,,,
RECENT POST,,,,,काव्यान्जलि ...: आश्वासन,,,,,
आभार आपका तिवारी जी ,
ReplyDeleteसुंदर और गूड शब्दों की शोभा निराली
मैं ,साधरण समझवाले की टिप्पणी से खाली...
खुश रहें!
Thanks to all for kind visit and valuable comments please.
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