Sunday, June 24, 2012

...कितना है कठिन?


सात फेरों के बाद भी
जब सुर नहीं मिलते यहाँ.
दुनिया के इस सफ़र में
साथ बैठने से ही, साथ हैं हम,
कहना यह कितना है कठिन?

जब निवाला भी
छिन जाता हो मुह से,
थाली में राखी यह रोटी
हमारी ही है.
यह दावा करना आज 
कितना है कठिन?

हम निकलते है 
घर से बाहर प्रतिदिन,
लौटकर सकुशल आएंगे ही
करना यह आश्वस्त
आज कितना है कठिन?

सुरक्षित चलते हैं,
नियमों को पलते है, ठीक है.
ये भागम भाग वाले,
मोबाईल धारक चालक,
सुरक्षित चलेंगे ही,
करना यह विश्वास 
आज कितना है कठिन?

करते हो नमस्कार,
यह आदत और शालीनता तेरी,
अगला तुरंत सोचता है,
कोई काम होगा.
वह जवाब भी देगा,
कहना आज यह कितना कठिन?

         जय प्रकाश तिवारी
         संपर्क: ९४५०८०२२४० 

14 comments:

  1. उत्कृष्ट |
    बहुत बहुत बधाई |

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  2. करते हो नमस्कार,
    यह आदत और शालीनता तेरी,
    अगला तुरंत सोचता है,
    कोई काम होगा.
    वह जवाब भी देगा,
    कहना आज यह कितना कठिन?

    सच आज कल कुछ भी कहना बहुत कठिन है ...

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  3. बहुत कुछ आज कठिन है ... पर फिर भी जीवन चल रहा है ...

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  4. जीवन के कठिन प्रश्न को सरलता से शब्दों में ढालना भी बड़ा कठिन होता है.आपने ढाला, बधाई..

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  5. आधुनिक जीवन के तमाम सौपानों विचलनों को समेटे है यह रचना .. ..... .कृपया यहाँ भी पधारें -
    ram ram bhai
    सोमवार, 25 जून 2012
    नींद से महरूम रह जाना उकसाता है जंक फ़ूड खाने को
    http://veerubhai1947.blogspot.com/

    वीरुभाई ,४३,३०९ ,सिल्वर वुड ड्राइव ,कैंटन ,मिशिगन ,४८ ,१८८ ,यू एस ए .

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  6. bartmaan paridrishy kee taraf ishara karte ek shandaar rachna..padhkar anand aa gaya

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  7. साथ बैठने से ही, साथ हैं हम,
    कहना यह कितना है कठिन?
    सबसे कठिन प्रश्न .... !! जिसके जबाब की तलाश जारी है .... !!

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  8. वाह बहुत खूब..कटु सत्य....

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  9. बहुत कठिन प्रश्न...लेकिन आज की वास्तविकता...आभार

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  10. सार्थकता लिए सटीक लेखन ... आभार

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  11. हर दिन जीते हैं, हर दिन मरते हैं....फिर भी उसे काग़ज़ पर उतारना इतना आसान तो नहीं...~
    बहुत सुंदर , सरल अभिव्यक्ति ! Thanks for sharing !

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  12. Thanks to all readers and participants for kind visit and creative comments. Grateful.

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