सात फेरों के बाद भी
जब सुर नहीं मिलते यहाँ.
दुनिया के इस सफ़र में
साथ बैठने से ही, साथ हैं हम,
कहना यह कितना है कठिन?
जब निवाला भी
छिन जाता हो मुह से,
थाली में राखी यह रोटी
हमारी ही है.
यह दावा करना आज
कितना है कठिन?
हम निकलते है
घर से बाहर प्रतिदिन,
लौटकर सकुशल आएंगे ही
करना यह आश्वस्त
आज कितना है कठिन?
सुरक्षित चलते हैं,
नियमों को पलते है, ठीक है.
ये भागम भाग वाले,
मोबाईल धारक चालक,
सुरक्षित चलेंगे ही,
करना यह विश्वास
आज कितना है कठिन?
करते हो नमस्कार,
यह आदत और शालीनता तेरी,
अगला तुरंत सोचता है,
कोई काम होगा.
वह जवाब भी देगा,
कहना आज यह कितना कठिन?
जय प्रकाश तिवारी
संपर्क: ९४५०८०२२४०
बहुत सुन्दर तिवारी जी
ReplyDeleteबेजोड़ सत्य आकलन
ReplyDeleteउत्कृष्ट |
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई |
करते हो नमस्कार,
ReplyDeleteयह आदत और शालीनता तेरी,
अगला तुरंत सोचता है,
कोई काम होगा.
वह जवाब भी देगा,
कहना आज यह कितना कठिन?
सच आज कल कुछ भी कहना बहुत कठिन है ...
बहुत कुछ आज कठिन है ... पर फिर भी जीवन चल रहा है ...
ReplyDeleteजीवन के कठिन प्रश्न को सरलता से शब्दों में ढालना भी बड़ा कठिन होता है.आपने ढाला, बधाई..
ReplyDeleteआधुनिक जीवन के तमाम सौपानों विचलनों को समेटे है यह रचना .. ..... .कृपया यहाँ भी पधारें -
ReplyDeleteram ram bhai
सोमवार, 25 जून 2012
नींद से महरूम रह जाना उकसाता है जंक फ़ूड खाने को
http://veerubhai1947.blogspot.com/
वीरुभाई ,४३,३०९ ,सिल्वर वुड ड्राइव ,कैंटन ,मिशिगन ,४८ ,१८८ ,यू एस ए .
bartmaan paridrishy kee taraf ishara karte ek shandaar rachna..padhkar anand aa gaya
ReplyDeleteसाथ बैठने से ही, साथ हैं हम,
ReplyDeleteकहना यह कितना है कठिन?
सबसे कठिन प्रश्न .... !! जिसके जबाब की तलाश जारी है .... !!
वाह बहुत खूब..कटु सत्य....
ReplyDeleteबहुत कठिन प्रश्न...लेकिन आज की वास्तविकता...आभार
ReplyDeleteसार्थकता लिए सटीक लेखन ... आभार
ReplyDeleteहर दिन जीते हैं, हर दिन मरते हैं....फिर भी उसे काग़ज़ पर उतारना इतना आसान तो नहीं...~
ReplyDeleteबहुत सुंदर , सरल अभिव्यक्ति ! Thanks for sharing !
Thanks to all readers and participants for kind visit and creative comments. Grateful.
ReplyDelete