Sunday, April 1, 2012

अँधेरी गुफा को तुम दीपक बना लो


प्रकाश  में  साया  तो  सब देखते हैं,
सफेदी  में  धब्बा तो  सब  देखते हैं.
धब्बे  में  अंकित, धवल बिम्ब देखो,
अँधेरे  में  किरण की एक बिम्ब देखो.
अँधेरी गुफा को, तुम  दीपक बना लो.
उस साए में नन्ही किरण जो समायी,
सम्हालो  उसी  को, उसी को बचा लो.
मिटेगा गम ये सारा, ख़ुशी को बचा लो.
अँधेरी  गुफा  को  तुम  दीपक  बना लो.

स्मृति की हो बाती,समर्पण का घी हो ,
जिजीविषा की अग्नि, दीपक जला लो.
लिपियों की भाषा तो सभी गुनगुनाते,
सन्नाटे के गीत - गजल को तुम गा लो.
अँधेरी गुफा  को,  तुम  दीपक  बना लो.
सुनो बधिरों के कानों से, प्रकृति के गान,
देखो सूरों के नयनों से, संस्कृति महान.
मिटेगा गम ये सारा, ख़ुशी को बचा लो.
अँधेरी गुफा  को,  तुम  दीपक  बना लो.

22 comments:

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    1. Madam!
      Thanks for kind visit and valuable comments please.

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  2. वाह ! डॉ साहब ,क्या बात है , कमाल की संवेदना व प्रेरणा है सृजन में /लम्बे अंतराल के बाद पढ़ने को मिला ,नवीन उर्जा का संचार करती रचना ... शुभकामनायें जी /

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    1. Namaskar ji,
      Sat shri Akal!
      Thanks for kind visit and valuable comments.

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  3. लिपियों की भाषा तो सभी गुनगुनाते,
    सन्नाटे के गीत - गजल को तुम गा लो.

    ....बहुत प्रेरक भाव...लाज़वाब भाव प्रेषण...आभार

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    1. Thanks sir for kind visit and valuable comments.

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  4. बहुत ही सुन्दर प्रेरक रचना प्रस्तुति...

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    1. Thanks sir for kind visit and valuable comments.

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  5. प्रकाश में साया तो सब देखते हैं,
    सफेदी में धब्बा तो सब देखते हैं.
    धब्बे में अंकित, धवल बिम्ब देखो,
    अँधेरे में किरण की एक बिम्ब देखो.
    अँधेरी गुफा को, तुम दीपक बना लो.
    उस साए में नन्ही किरण जो समायी,
    सम्हालो उसी को, उसी को बचा लो.
    मिटेगा गम ये सारा, ख़ुशी को बचा लो.
    अँधेरी गुफा को तुम दीपक बना लो.
    ........ फिर सब तुम्हारा है ....

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    1. Madam!
      Thanks for kind visit and valuable comments please.

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    2. अपने बारे में क्या बताऊं तुम्हे कोरा कागज हूं कोरा पानी हूं,
      हौसले आसमान छूते है थोड़ी पागल हूं थोड़ी ज्ञानी हूं!

      औरतों की भी जिन्दगी क्या हैं व्रत बदलती हुई कहानी हैं,
      आज बेटी हैं कल बहू फिर माँ परसों बच्चे कहेंगें नानी हैं!

      मुझ को पूरा भरोसा है तुम पर तुम मेरा एतबार कर लेना,
      तेज रफ्तार जिन्दगी हैं-मगर रुक के थोड़ा-सा प्यार कर लेना!

      MARM SPARDHI AUR SATYA. NARI JEEWAN AUR SAMVEDANAON KA SWADHAWIK CHITRAN. AABHAR AAPKA.

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  7. प्रेरक रचना.... सादर।

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    1. Thanks for kind visit and valuable comments please.

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  8. प्रकाश में साया तो सब देखते हैं,
    सफेदी में धब्बा तो सब देखते हैं.
    धब्बे में अंकित, धवल बिम्ब देखो,
    अँधेरे में किरण की एक बिम्ब देखो.

    सुंदर भाव की खूबसूरत रचना. बधाई एवं शुभकामनायें.

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    1. Madam!
      Thanks for kind visit and valuable comments please.

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  9. मिटेगा गम ये सारा, ख़ुशी को बचा लो.
    अँधेरी गुफा को तुम दीपक बना लो.
    positive thinking

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    1. Thanks for kind visit and valuable comments please.

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