प्रकाश में साया तो सब देखते हैं,
सफेदी में धब्बा तो सब देखते हैं.
धब्बे में अंकित, धवल बिम्ब देखो,
अँधेरे में किरण की एक बिम्ब देखो.
अँधेरी गुफा को, तुम दीपक बना लो.
उस साए में नन्ही किरण जो समायी,
सम्हालो उसी को, उसी को बचा लो.
मिटेगा गम ये सारा, ख़ुशी को बचा लो.
अँधेरी गुफा को तुम दीपक बना लो.
स्मृति की हो बाती,समर्पण का घी हो ,
जिजीविषा की अग्नि, दीपक जला लो.
लिपियों की भाषा तो सभी गुनगुनाते,
सन्नाटे के गीत - गजल को तुम गा लो.
अँधेरी गुफा को, तुम दीपक बना लो.
सुनो बधिरों के कानों से, प्रकृति के गान,
देखो सूरों के नयनों से, संस्कृति महान.
मिटेगा गम ये सारा, ख़ुशी को बचा लो.
अँधेरी गुफा को, तुम दीपक बना लो.
प्रेरणादायक रचना
ReplyDeleteMadam!
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वाह ! डॉ साहब ,क्या बात है , कमाल की संवेदना व प्रेरणा है सृजन में /लम्बे अंतराल के बाद पढ़ने को मिला ,नवीन उर्जा का संचार करती रचना ... शुभकामनायें जी /
ReplyDeleteNamaskar ji,
DeleteSat shri Akal!
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लिपियों की भाषा तो सभी गुनगुनाते,
ReplyDeleteसन्नाटे के गीत - गजल को तुम गा लो.
....बहुत प्रेरक भाव...लाज़वाब भाव प्रेषण...आभार
Thanks sir for kind visit and valuable comments.
Deleteबहुत ही सुन्दर प्रेरक रचना प्रस्तुति...
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Deleteप्रकाश में साया तो सब देखते हैं,
ReplyDeleteसफेदी में धब्बा तो सब देखते हैं.
धब्बे में अंकित, धवल बिम्ब देखो,
अँधेरे में किरण की एक बिम्ब देखो.
अँधेरी गुफा को, तुम दीपक बना लो.
उस साए में नन्ही किरण जो समायी,
सम्हालो उसी को, उसी को बचा लो.
मिटेगा गम ये सारा, ख़ुशी को बचा लो.
अँधेरी गुफा को तुम दीपक बना लो.
........ फिर सब तुम्हारा है ....
Madam!
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बहुत बढ़िया प्रेरक भाव रचना, बेहतरीन पोस्ट,....
ReplyDeleteMY RECENT POST...काव्यान्जलि ...: मै तेरा घर बसाने आई हूँ...
बेहतरीन |
DeleteTHANKS
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Deleteअपने बारे में क्या बताऊं तुम्हे कोरा कागज हूं कोरा पानी हूं,
Deleteहौसले आसमान छूते है थोड़ी पागल हूं थोड़ी ज्ञानी हूं!
औरतों की भी जिन्दगी क्या हैं व्रत बदलती हुई कहानी हैं,
आज बेटी हैं कल बहू फिर माँ परसों बच्चे कहेंगें नानी हैं!
मुझ को पूरा भरोसा है तुम पर तुम मेरा एतबार कर लेना,
तेज रफ्तार जिन्दगी हैं-मगर रुक के थोड़ा-सा प्यार कर लेना!
MARM SPARDHI AUR SATYA. NARI JEEWAN AUR SAMVEDANAON KA SWADHAWIK CHITRAN. AABHAR AAPKA.
प्रेरक रचना.... सादर।
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Deleteप्रकाश में साया तो सब देखते हैं,
ReplyDeleteसफेदी में धब्बा तो सब देखते हैं.
धब्बे में अंकित, धवल बिम्ब देखो,
अँधेरे में किरण की एक बिम्ब देखो.
सुंदर भाव की खूबसूरत रचना. बधाई एवं शुभकामनायें.
Madam!
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मिटेगा गम ये सारा, ख़ुशी को बचा लो.
ReplyDeleteअँधेरी गुफा को तुम दीपक बना लो.
positive thinking
Thanks for kind visit and valuable comments please.
DeleteThanks sir.
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