दोस्तों! आइये इस वर्ष,
दीपावली कुछ यूँ मनाते हैं -
तन को अपने दिया बनाकर
सत्कर्मों का घी जलाते हैं.
सद्विचारों की बाती बनाकर,
मंत्रो से प्रज्ज्वलित करके,
इस दीपक के उज्जवल प्रकाश में -
निर्मल-प्रशांत-निर्विकार भाव से,
वेद-पुराण-कुरान-ग्रन्थ को मिलबैठ,
साथ - साथ फिर से, इसे दुहराते हैं.
अबकी दीपावली कुछ यूँ मनाते हैं.
करते आह्वान हम -
व्यास, याज्ञवाल्क्य, दधीचि को,
ईसा - मूसा - मुहम्मद को भी.
कबीर, रैदास, नानक, समर्थ को,
गार्गी,मैत्रेयी.भारती, मीरा
और राबिया को आदर सहित बुलाते हैं.
बुद्ध, महाबीर, और शंकराचार्य से,,
विवेकानंद - दयानंद से;समझते हैं आज -
उनके कथनों का मर्म, अर्थ, निहितार्थ..
अपनी ईर्ष्या, मूढ़ता, द्वेष को जलाते हैं.
अबकी दीपावली कुछ यूँ मनाते हैं.
देखा है हमने -
यहाँ कभी आस्था के नाम पर,
कभी धर्म और मजहब के नाम पर,
प्यारे से घरौंदे, हैं तोड़ दिए जाते,
खुदा के बन्दों द्वारा खुदा के नाम पर,
बस्तियाँ रौदे जाते, जला दिए जाते.
लोग मानव से हैवान बन जाते हैं.
इस पर्व पर उन्हें एक राह दिखाते हैं.
अबकी दीपावली कुछ यूँ मनाते हैं.
देखा है हमने -
करके कुकर्म ये मजहबी लोग,
खुदा के घर में ही छिप जाते.
पर, खुदा है क्या? नहीं जानते.
वह चाहता क्या? नहीं जानते.
धर्म तत्त्व को नहीं पहचानते.
कराह रही मानवता कब से?
चित्कार रही कब से इंसानियत?
लेकिन मानव दिल नहीं पिघलता.
अभी भी, बम फोड़ने की है -
कुत्सित, कलुषित उसकी इच्छा.
हो गए हम कितने पतित आज,
बनना था हमें, एक 'दिव्य मानव',
बन गए देखो, हम 'मानव बम'.
अब,
ऐसी अलख जगा देना है -
जगमग हो जाये धरा यह,
सद्भाव, स्नेह की रौशनी से.
सत्कर्मों के उज्ज्वल प्रकाश से,
इस धरा को हम चमकते हैं.
ईर्ष्या, वैमनस्य, द्वेष दूर भागते हैं,
अबकी दीपावली कुछ यूँ मनाते हैं.
बहुत सुंदर दीवाली होगी यह...बहुत बहुत शुभकामनायें!
ReplyDeleteअपनी ईर्ष्या, मूढ़ता, द्वेष को जलाते हैं.
ReplyDeleteअबकी दीपावली कुछ यूँ मनाते हैं.
यही दिवाली शाश्वत होगी!
शुभकामनायें!
शुभकामनाएं ||
ReplyDeleteरचो रंगोली लाभ-शुभ, जले दिवाली दीप |
माँ लक्ष्मी का आगमन, घर-आँगन रख लीप ||
घर-आँगन रख लीप, करो स्वागत तैयारी |
लेखक-कवि मजदूर, कृषक, नौकर व्यापारी |
नहीं खेलना ताश, नशे की छोडो टोली |
दो बच्चों का साथ, रचो मिलकर रंगोली ||
आपकी प्रस्तुति अति सुन्दर प्रेरणा देती हुई
ReplyDeleteबहुत अच्छी लगी.
आपकी अनुपम सोच को प्रणाम.
धनतेरस व दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ.
मेरे ब्लॉग पर आईयेगा.
'नाम जप' पर अपने अमूल्य विचार
और अनुभव प्रस्तुत करके अनुग्रहित
कीजियेगा.
ऐसी दीवाली ही मनायी जानी चाहिए
ReplyDelete.. सपरिवार आपको दीपावली की शुभकामनाएं !!
तथास्तु!
ReplyDeleteसभी सुधी पाठकों, समीक्षकों का आभार और सभी को दीपावली की हार्दिक मंगल कामनाएं.
ReplyDeleteदोस्तों! आइये इस वर्ष,
ReplyDeleteदीपावली कुछ यूँ मनाते हैं -
तन को अपने दिया बनाकर
सत्कर्मों का घी जलाते हैं.
सद्विचारों की बाती बनाकर,
मंत्रो से प्रज्ज्वलित करके,
इस दीपक के उज्जवल प्रकाश में -
निर्मल-प्रशांत-निर्विकार भाव से,
वेद-पुराण-कुरान-ग्रन्थ को मिलबैठ,
साथ - साथ फिर से, इसे दुहराते हैं.
अबकी दीपावली कुछ यूँ मनाते हैं.
बहुत ही सही कहा आपने इसी तरह दीवाली मनाई जाए अंधकार को भगा कर प्रकाश लाइ जाय....|
दीवाली की हार्दिक शुभकामनायें!
अँधेरे में प्रकाश फैले|
chandankrpgcil.blogspot.com
dilkejajbat.blogspot.com
ekhidhun.blogspot.com
पर कभी आइयेगा| मार्गदर्शन की अपेक्षा है|
adbhut deewali///
ReplyDeleteChandan ji,
ReplyDeleteBabban Pandey ji,
Thanks for kind visit and creative comments please.
यथार्थता के धरातल पर भावपरक सुन्दर भावाभिव्यक्ति
ReplyDeleteआपको दीपावली,भाईदूज एवं नववर्ष की ढेरों शुभकामनाएं !