Monday, March 1, 2010
होली का अर्थ और निहितार्थ
होली का अर्थ और निहितार्थ है - हो ..ली . अर्थात अच्छा बुरा अब तक जो भी हुआ वह हो चुका.. वह बीत गया. और जो बीत गयी वह बात गयी. नफरत की होली को जलाओ, स्नेह और अनुराग के विविध रंगों के गुलाल लगाओ. यही होली है. यही सूत्र है, परन्तु यह सूत्र देखने में जितना छोटा और सरल लगता है वास्तव में उतना सरल है नहीं. व्यावहारिक जीवन में यह बहुत ही कठिन है, टेढा है; लेकिन पुरुषार्थ भी तो यही है. सरल कार्य तो सभी करते हैं, कभी उपयोगी कार्य भी तो करना चाहिए. और क्या इस अर्थ को भी और व्याख्या की अवश्यकता है? यदि उपयोग, उपादेयता, महत्व और मानवीय मूल्य की दृष्टि से देखा जाय तो यही इस पर्व की सार्थकता है. आइये कोशिश तो करें, मै भी अभी यह प्रयास कर ही रहा हूँ....दो-चार पग साथ-साथ तो चलें .....धीरे-धीरे आदत बन जायेगी . होली इसी बहाने बहुत यादगार बनजाएगी. शुभ होली, सार्थक होली और भावनात्मक होली की ढेर सारी शुभ कामनाये.........
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