Wednesday, August 21, 2013

ढाई अक्षर का शब्द है- 'प्रेम'

ढाई अक्षर का शब्द है- 'प्रेम' 
जिसके टेढ़े वर्ण मीठे एहसास
ह्रदय जगाये यह नेह, प्रकाश
संयोग वियोग इसका विलास

देख स्नेह को जगता प्यार
स्नेह, स्नेह  को करता प्यार
लेता स्नेह यह कठिन परीक्षा
पड़ता है देना, हो न हो इच्छा

इच्छाओं का यहाँ मोल कहाँ
वे तो प्रेम के हाथों गिरवी  हैं
अपनी इच्छा तो है विलीन
प्रेमी की जो कुछ इच्छा है.
 
जहाँ सोच प्रेम, अनुभूति प्रेम
जीवन भी प्रेम, मृत्यु भी प्रेम
जीवन का है उत्स यह प्रेम
उत्सर्गी जीवन ही है- 'प्रेम'.

5 comments:

  1. जब तक इच्छाएं हैं भीतर प्रेम टिकता नहीं..

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  2. उत्तम प्रस्तुति।।।

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  3. प्रेम - न समझा जा सकता है
    न समझ से परे है
    न बाँधा जा सकता है
    न बंधन से परे है
    प्रेम - अमृत भी,विष भी
    पर है सिर्फ अमरत्व
    भले ही विष पीना क्यूँ न पड़े !!!

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