क्षण क्षण के बीच जो अंतराल
वह भी तो एक क्षण ही है
कण कण के बीच में जो दरार
उसमे भी तो कोई कण ही है
ढूंढते ढूँढते अंतराल को
मापते मापते इस दरार को
जो चिंतन है वह दर्शन है,
अभिव्यक्ति है जो वह कविता है.
दर्शन है विधा एक ज्ञान की
इसकी तो दशा निराली है
कविता है हमे मार्ग दिखाती
भावों में अभिव्यक्ति कराती
होता फी गूढ़ तत्व अनावृत्त
जो त्रिभुज, वही वर्ग और वृत्त
बिना अभिव्यक्ति रह नहीं पाते
यह मानव की अपनी प्रवृत्ति
समझाते हैं जब मन को अपने
अध्यात्म रूप वह बन जाता
दिखलाना हो जब औरों को
विज्ञानं रूप में सामने आता
तुम बोलो तब क्या अंतर है -
विज्ञान और अध्यात्म जगत में
जो वहिर्मुखी विज्ञान है वह
अंतर्मन में जो प्रज्ञान है व्ह.
दोनों हैं दो पार्श्व ज्ञान के
बुद्धि चेतना सत्ता प्रज्ञान के
संवेग से हैं दोनों चंचल
संवेग रहित हैं शांत अविचल.
जो भेद मान लिया हमने
वह ज्ञान नहीं, अज्ञान है
अभेद जिसने देख लिया
उसी के पास तो ज्ञान है.
वह भी तो एक क्षण ही है
कण कण के बीच में जो दरार
उसमे भी तो कोई कण ही है
ढूंढते ढूँढते अंतराल को
मापते मापते इस दरार को
जो चिंतन है वह दर्शन है,
अभिव्यक्ति है जो वह कविता है.
दर्शन है विधा एक ज्ञान की
इसकी तो दशा निराली है
कविता है हमे मार्ग दिखाती
भावों में अभिव्यक्ति कराती
होता फी गूढ़ तत्व अनावृत्त
जो त्रिभुज, वही वर्ग और वृत्त
बिना अभिव्यक्ति रह नहीं पाते
यह मानव की अपनी प्रवृत्ति
समझाते हैं जब मन को अपने
अध्यात्म रूप वह बन जाता
दिखलाना हो जब औरों को
विज्ञानं रूप में सामने आता
तुम बोलो तब क्या अंतर है -
विज्ञान और अध्यात्म जगत में
जो वहिर्मुखी विज्ञान है वह
अंतर्मन में जो प्रज्ञान है व्ह.
दोनों हैं दो पार्श्व ज्ञान के
बुद्धि चेतना सत्ता प्रज्ञान के
संवेग से हैं दोनों चंचल
संवेग रहित हैं शांत अविचल.
जो भेद मान लिया हमने
वह ज्ञान नहीं, अज्ञान है
अभेद जिसने देख लिया
उसी के पास तो ज्ञान है.
गहरा दर्शन लिए आज की रचना ...
ReplyDeleteउत्तम ...
गहन दर्शन का ज्ञान कराती सुन्दर रचना
ReplyDeleteजो भेद मान लिया हमने
ReplyDeleteवह ज्ञान नहीं, अज्ञान है
अभेद जिसने देख लिया
उसी के पास तो ज्ञान है.,,,प्रेरक सुंदर रचना,,,,
मेरे पोस्ट पर आने के लिए आभार,,,
Recent post: रंग,
दर्शन और कविता की सरल परिभाषा...
ReplyDeleteदर्शन है विधा एक ज्ञान की
इसकी तो दशा निराली है
कविता है हमे मार्ग दिखाती
भावों में अभिव्यक्ति कराती
गहन भाव-चिंतन, शुभकामनाएँ.
कविता सरस्वती का यौवन है और दर्शन वार्धक्य!
ReplyDeleteगहन दर्शन............
ReplyDeleteThanks to all for kind visit and creative comments..
ReplyDeleteवाह ! दर्शन और कविता, दोनों का अद्भुत सामंजस्य दिखाती सुंदर रचना..
ReplyDeleteThanks to all for kind visit and comments.
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