बात की बात में हम
यूँ ही बोल जाते हैं कई बात.
लेकिन क्या जानते हैं-
उस बात की पूरी बात ?
कोई बात: मात्र एक बात नहीं,
यह होती है उसकी - 'औकात'.
होती है पहचान उससे ही
उसके व्यक्त्तित्व की,
देश की, धर्म की, जाति की.
जिस बात में न हो दम,
मत करो उसकी कोई बात.
करना हो तो करो उसकी बात
जो बात की बातों में दे दे,
बड़ो - बड़ों को भी मात.
कुछ कर दे ऐसी बात कि
चतुर्दिक हो उसी की बात.
बात तो दरअसल वह
जो बना दे बिगड़ी बात.
लाये सबकी ख़ुशी के लिए
एक से बढकर एक सौगात.
हमें याद है माँ की सिखाई बात,
बात वह जो न पहुचाये आघात,
लेकिन कर दे करामात.
जगा दे झकझोर कर उन्हें
जो अभी भी निद्रा और तंद्रा में.
इतना तो जनता हूँ -
बात वह शक्ति, बिगाड़ा काम बना दे,
बात वह शक्ति, बनता काम बिगाड़ दे.
बात से मिलती यहाँ, सोने की जंजीर,
मिलती यहाँ बात से ही, लोहे की जंजीर.
आखिर बात में ऐसी क्या बात है?
क्यों करता दोनों तरफ आघात है?
यदि बात मिल जाय तो पूछू उससे,
अरे यार! किस मिटटी का बना है तू?
किस कालेज में आखिर पढ़ा है तू?
अरे प्यारे ! इतना तो बता दे-
क्या है तेरी असली राज की बात?
कुछ सिखा दो न हमें भी...,
बन जाए जिससे हर बिगड़ी बात.
बात तो दरअसल वह
ReplyDeleteजो बना दे बिगड़ी बात.
लाये सबकी ख़ुशी के लिए
एक से बढकर एक सौगात.
वाह ...कितनी अच्छी बात की है बात पर ...
बात की बात में हम
ReplyDeleteयूँ ही बोल जाते हैं कई बात.
लेकिन क्या जानते हैं-
उस बात की पूरी बात ?... अधकचरे ज्ञान पर तो कभी यूँ ही आदतन हम बोलते रहे हैं और साबित करते गए हैं
ये हुई न बात।
ReplyDeleteबातों -बातों में आपने बहुत सारी बातें बता दीं।
कोई बात: मात्र एक बात नहीं,
ReplyDeleteयह होती है उसकी - 'औकात'.
होती है पहचान उससे ही
उसके व्यक्त्तित्व की,
देश की, धर्म की, जाति की.
वाह !!!!!!बहुत बढ़िया प्रस्तुति,सुंदर रचना लगी
आपने बिलकुल सही कहा ,....डा० साहब,..बधाई
MY RECENT POST...काव्यान्जलि ...:गजल...
बात तो दरअसल वह
ReplyDeleteजो बना दे बिगड़ी बात.
लाये सबकी ख़ुशी के लिए
एक से बढकर एक सौगात.
सुंदर सीख देती खूबसूरत प्रस्तुति.
Thanks to all for kind visit and creative comments.
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