Tuesday, February 14, 2012

प्रेम तत्व : जैसा मैंने समझा


प्रेम, एक दिव्य ऊर्जा है
प्रेम है, चेतना का आगार.
प्रेम है, लहरों का आवेग.
प्रेम तो है, एक तीव्र संवेग.

प्रेम भी है, क्या एक आवेश?
आकर्षण और प्रतिकर्षण का?
राग-विराग औ ईर्ष्या-द्वेष का?
मूल्यों-चिंतन- मानव क्लेश का?

नहीं! नहीं! प्रेम तो प्रवाह है,
'दिव्य-चिति' के, संवेगों का.
यह वृत्ति-प्रवृत्ति-आवेश रहित,
राग-विराग और द्वेष रहित.

मालिन्य - मोह या स्वार्थ की,
चिपटाने की इसमें वृत्ति नहीं.
आसक्ति-विरक्ति का भाव इसे,
कभी लेश मात्र छू सकते नहीं.

हम प्रेम पाश, बंधते हैं क्यों?
प्रेम की डोर खीचते  हैं क्यों?
इस प्रेम भंवर पड़, बार- बार, 
रोते और बिलखते हैं क्यों?

फँसे किसी के मोह जाल में,
जो बाँधे, किसी को माया में.
प्रेम नहीं, है वासना वह तो,
प्रेम नहीं, आसक्ति है वह तो.

नचाये जग, जो प्रेम नाम से
वह भ्रम है, भँवर है, धोखा है.
रचना सारी यह, मन की है ,
सत्य नहीं यह, केवल धोखा है.

जो सात्विक प्रेम में पड़ते हैं,
वे बंधन तोड़, होते हैं - 'मुक्त'.
दुनिया के राग - विरागों से,
इन संबंधों से और नातों से.

प्रेम नहीं बाँधता है किसी को,
वह तो करता, मुक्त- अवमुक्त.
छू गयी जिन्हें वह प्रेम-लहर,
हो गए प्रबुद्ध और मोह मुक्त.

हाँ! करते हैं वे प्रेम यहाँ पर -
आत्मभाव से आत्मतत्त्व को.
है आत्म तत्त्व आवेश रहित,
अलिंगी है और रूप रहित.

प्रेम तत्त्व की दृष्टि है कैसी?
वह भी होती क्या मानव जैसी?
चर्म दृष्टि देखो तो - "अनन्त"
आत्म दृष्टि, वही "एक बसंत".

कुछ हुए धरा पर ऐसे नारी-नर,
जो मारे हैं डुबकी इस प्रेम लहर.
उन्हीं के बोध से दीक्षित हैं ये -
धरा पर जागृत जो नारी - नर.

-डॉ. जय प्रकाश तिवारी

10 comments:

  1. प्रेम ... शाश्वत प्रवाह है

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  2. प्रेम को समझने वाले विरले होते हैं .... बहुत सुंदर प्रस्तुति

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  3. बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
    --
    आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा आज के चर्चा मंच पर भी की गई है!
    सूचनार्थ!

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  4. http://urvija.parikalpnaa.com/2012/02/blog-post_17.html?spref=fb

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  5. बहुत ही अच्‍छी प्रस्‍तुति ।

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  6. प्रेम की परिभाषा मुश्किल है पर आपने आसान कर दी ।

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  7. प्रेम भी तो साधना है...

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  8. आत्म दृष्टि, वही "एक बसंत".

    प्रेम तत्व को इतनी गहराई से समझ लें तो विश्व शाश्वत बसंत का राज्य हो जाये
    बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति

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  9. प्रेम तत्व का अपने कितनों गहराई से विश्लेषण किया है...बहुत सुंदर कविता !

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  10. Thanks to all for kind visit. Proper regard to every comments.

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