Saturday, December 24, 2011

समीकरण: तम, साया और प्रकाश का

है यह मौन ही -
जो बार-बार प्रस्फुटित होता.
हर बार एक ही कहानी,
नए सिरे से, नए रूप में कहता.
ना ना निगम पुराण उपनिषद्,
भिन्न-भिन्न नामों से रचता.

यह मौन: 
शान्ति में श्रृंगार पाता,
निःशब्दता में मुखरित होता.
मौन की इस दिव्य आभा में,
जिसने भी किया प्रवेश;
उसने देखा, स्पष्ट देखा है -
तम को, प्रकाश के साथ.

लेकिन है वह साया ही,
जो नायिका बन नहीं पाती,
तम प्रधान्यता के कारण ही,
दर्जा खलनायिका का पाती.
और नायकत्व हर बार ही,
प्रकाश के हिस्से में आता, 
जो किरण को नायिका बनाता.

यही क्रम
चल रहा है युगों-युगों से,
बार-बार,अनवरत-लगातार.
अब आ गया है वह समय,
जब तम को भीअपनी ,
महिमा बतलाना होगा.

लेकिन
वह तो है परदे के पीछे.
पर्दा को अब उठाना होगा,
सामने सब के आना होगा.
दायित्व है यह विज्ञान का,
आखिर उसी ने खोजा है.
'डार्क मैटर' और 'डार्क एनर्जी'.
आगे उसको ही आना होगा.
प्रज्ञान और विज्ञान दोनों को,
मिलजुलकर इसे सुलझाना होगा.
प्रज्ञान का भरपूर साथ निभाना होगा.

6 comments:

  1. प्रज्ञान और विज्ञान दोनों को,
    मिलजुलकर इसे सुलझाना होगा.

    यह सबसे अच्छा विकल्प है।

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  2. क्या बात सर !कथ्य और भाषा दोनों ही रोचक & प्रभावशाली ... बुनियादों के विचार में अग्रणी ...सुखद

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  3. नमस्कार!
    ब्लॉग पर स्वागत, पधारने और उत्साह्वार्द्दक टिप्पणियों के लिए आभार. मन में बात आयी, विज्ञान, डार्क इनर्जी की बात करता है, प्रज्ञान क़ाली की बात करता है इस सृष्टि के मूल में. शिव ही प्रकाश हैं और पार्वती हैं- किरण, स्फुलिंग. वेद सूत्र रूप में व्याख्या करता अहि तो पुराण कथा और कहानी रूप में सर्व के लिए इसे बोधगम्य बनाता है.

    गुरु नानकदेव जी ने जिसे "अरबत सरवत धूं-धून्कारा" कहा है, उसी को जानने का एक प्रयास है. आप सभी सुधी समीक्षकों से निवेदन है की इस सम्बन्ध में कुछ सोंचें और अपने अमूल्य विचारों से अवगत कराएँ, इस जिज्ञासा और खोज को और गति प्रदान करें. सभी का आग्रह और सभी से एकबार पुनः निवेदन. झिझकें नहीं आपका छोटा सा संकेत किसी बड़े रहस्य को खोलने में महत्वपूर्ण हो सकता हैं. एकबार चिंतन कर के तो देखें.

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  4. है यह मौन ही -
    जो बार-बार प्रस्फुटित होता
    बहद सुन्दर!
    मौन की महिमा अपार और शब्दों का भी है अपना वृहद् संसार... बस भावनाएं प्रेषित हो जाएँ... तो भाषा कोई भी हो काव्य रच सकता है... मौन भी अपने आप में काव्य ही है! शानदार प्रस्तुति!
    सादर!!!

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  5. तम, साए और प्रकाश का यह समीकरण बेहद सुन्दर बन पड़ा है!

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  6. ANUPAMA JI

    Thanks for kind visit and creative comments

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