कुछ तो शर्म करो मेरे भाई !
लड़ाई और जंग कौन लड़ता?
वह तो लड़े - 'सिपाही'.
अन्ना तो है, असल सिपाही
उसने अपनी फ़र्ज़ निभाई
तुम सो रहे घर में, क्यों भाई?
मिट्टी का कर्ज चुकाएगा,
वह अपना फर्ज निभाएगा,
वह भ्रष्टाचार मिटाएगा.
किया आवाहन जनता का,
जनता सड़कों पर निकल पड़ी.
बच्चों ने स्कूल है छोड़ा,
छोड़ी कालेज तरुणाई.
नौकरी से अपने छुट्टी लेकर
ले रहा युवा वर्ग अंगडाई.
सारे वर्ग हैं शामिल उसमे,
हिन्दू-मुस्लिम-सिक्ख-ईसाई.
तुम सो रहे घर में, क्यों भाई?
छोड़े किसान है, खेत-खलिहान
है नारी छोड़े सब चौका .....,
पहली बार कोई टीम है देखा
जिसमे, केवल छक्का- चौका.
चिपके हो सत्ता की कुर्सी से,
जैसे पूरी हो, फेविकोल लगायी.
कुछ तो शर्म करो मेरे भाई !
तीर - कमान, वे क्यों लावें ?
वे 'शब्द - तीर', ले निकल पड़े.
कुछ लेकर लेखनी निकल पड़े,
कुछ ब्रुश को लेकर निकल पड़े.
देखो, उनकी रचनाओं को ,
माइक पर कैसे उछल रहे ?
चहरे पर छपा तिरंगा देखो,
उसमे भारत एक नंगा देखो.
अब तक देखा तूने बहुतों को,
अन्ना, एक अलग तुम देखो.
अब तक देखा है, बहुतों को.
कथनी-करनी के अंतर को.
उनके वादों और ईरादों को.
अब अन्ना को, मैं देख रहा हूँ.
वाह्य की सादगी, अन्तः का बल,
उमड़ता देशप्रेम, देख रहा हूँ.
उनकी शक्ति, शौर्य, ऊर्जा को,
समर्पित जीवन राष्ट्र भक्ति को,
आशान्वित होकर देख रहा हूँ.
तुम क्यों सो रहे मेरे भाई?
कुछ तो शर्म करो मेरे भाई?
वह भ्रष्टाचार मिटाएगा.
ReplyDeleteकिया आवाहन जनता का,
जनता सड़कों पर निकल पड़ी.
आपके जज्ज्बातों को सलाम ,आपकी ओजमयी लेखनी को सलाम , राष्ट्र चिंतन को सलाम ........../
उनकी शक्ति, शौर्य, ऊर्जा को,
ReplyDeleteसमर्पित जीवन राष्ट्र भक्ति को,
आशान्वित होकर देख रहा हूँ.
बहुत प्रभावपूर्ण अभिव्यक्ति...बहुत सो चुके, अब सबको जागना ही होगा..आभार
अब अन्ना को, मैं देख रहा हूँ.
ReplyDeleteवाह्य की सादगी, अन्तः का बल,
उमड़ता देशप्रेम, देख रहा हूँ.
उनकी शक्ति, शौर्य, ऊर्जा को,
समर्पित जीवन राष्ट्र भक्ति को,
आशान्वित होकर देख रहा हूँ.
बहुत ही प्रेरणापूर्ण सुन्दर आवाहन किया है आपने.
आपकी अनुपम प्रस्तुति के लिए हृदय से आभार.
समय मिले तो मेरे ब्लॉग पर भी आईयेगा.
यदि मीडिया और ब्लॉग जगत में अन्ना हजारे के समाचारों की एकरसता से ऊब गए हों तो मन को झकझोरने वाले मौलिक, विचारोत्तेजक विचार हेतु पढ़ें
ReplyDeleteअन्ना हजारे के बहाने ...... आत्म मंथन http://sachin-why-bharat-ratna.blogspot.com/2011/08/blog-post_24.html
wonderfull
ReplyDeleteक्यों की मैं अँधा नहीं हूँ और ना ही मुझे भाद मीडिया चलाता है मुझे पता है की ये टीम अन्ना केवल शोर शराबा मचा रही है
ReplyDeleteमुक्त सत्य: ज्ञान , धन और समाज के लिए ज्ञान का महत्त्व
http://nationalizm.blogspot.com/2011/09/blog-post.html