जनता के दिल की आवाज हूँ मैं
अब तक था दबा अब नहीं दबूंगा.
जनता के ऊपर नित भ्रष्टाचार
बहुत सहा, अब नहीं सहूंगा..
हो रहे उजागर नित प्रतिदिन
भ्रष्ट आचरण और भ्रष्टाचार.
सुबह उठा और देखा पेपर
सुर्ख़ियों में छाया भ्रष्टाचार..
आचार विचार सब गौड़ हुए
हुआ प्रधान अब भ्रष्टाचार.
अब होती है इसपर चर्चा इतनी
लोकप्रिय न हो जाय भ्रष्टाचार.
रोज रोज जब जाप करोगे
परस्पर विरोधी बातकरोगे.
नियम कानून ताक पे रख
कहीं छा न जाए भ्रष्टाचार.
नयी पीढ़ी दीवानी शार्टकट की
उसे भा न जाए यह भ्रष्टाचार.
है कोढ़ समाज का भ्रष्टाचार.
मिटाना हमे है यह भ्रष्टाचार.
करो बात यदि भ्रष्टाचार की.
एक स्वर से फिर यही बात करो.
लो मिट्टी हाथ और करो संकल्प
मिटायेंगे इस देश से भ्रष्टाचार.
अब देश से भ्रष्टाचार मिट कर रहेगा, जनता जाग रही है...
ReplyDeleteअब इस ज्योति को प्रज्वलित रखना है..जनता को मुख्य मुद्दे से भटकाने के प्रयासों से सावधान रहना होगा..आभार
ReplyDeleteजोशमयी रचना-
ReplyDeleteसादर- विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
अनीता जी,
ReplyDeleteकैलाश भाई,
विवेक भाई,
आपलोगों के पधारने एवं सकारात्मक और सार्थक टिप्पणी के लिए आभार.
सादर प्रणाम स्वीकार करें...
ReplyDeleteकरो बात यदि भ्रष्टाचार की.
एक स्वर से फिर यही बात करो.
लो मिट्टी हाथ और करो संकल्प
मिटायेंगे इस देश से भ्रष्टाचार.
इन पंक्तियों ने सब कुछ कह दिया अब और कुछ कहने की आवश्यकता नहीं...अब कार्य करने की आवश्यकता है, भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने की आवश्यकता है !!
सार्थक पोस्ट हेतु सादर आभार..
भ्रष्टाचार मिटाने का व्रत लेना होगा , जोश भरती हुई रचना , बधाई
ReplyDeleteगौरव भाई!
ReplyDeleteSunil भाई!
पधारने और सकारात्मक टिप्पणी, सुझाव के लिए आभार.