हमें जाना है सुदूर....
इस महीतल के भीतर..
अतल-वितल गहराइयों तक.
हमें जाना है भीतर अपने
मन के दसों द्वार भेद कर
अंतिम गवाक्ष तक.
अन्नमय कोश से ....
आनंदमय कोश तक.
छू लेना है ऊंचाइयों के
उस उच्चतम शिखर को,
जिसके बारे में कहा जाता है -
वहीँ निवास है, आवास है
इस सृष्टि के नियामक
पोषक और संचालक का.
पूछना है - कुछ 'प्रश्न' उनसे,
मन को 'नचिकेता' बना कर.
पाना है - 'वरदान' उनसे
तन को 'सावित्री' बनाकर.
और करना है- 'शास्त्रार्थ' उनसे,
"गार्गी' और 'भारती' बन कर.
मन में उठने वाले प्रश्न का निदान शायद स्वयं के पास ही होता है ..अपने मन के अंतिम झरोखे तक झांकना होगा ...अच्छी रचना
ReplyDeleteइस रचना की जितनी प्रशंसा की जाये कम है……………जीवन का सम्पूर्ण सार को उतार दिया है……………बेहतरीन प्रस्तुति।
ReplyDeleteछू लेना है ऊंचाइयों के
ReplyDeleteउस उच्चतम शिखर को,
जिसके बारे में कहा जाता है -
वहीँ निवास है, आवास है
इस सृष्टि के नियामक
पोषक और संचालक का.
इन पंक्तियों ने बेहद प्रभावित किया..........बधाई !!
प्रौराणिक पात्रों का इतना प्रभावी प्रयोग् पढकर भावनाऒं का ऐसा सैलाव उठा कि कई पल रुक कर उसे महसूस करता रहा। आपकी सूक्ष्म, सघन दृष्टि और आपके काव्यात्मक विवरण से इसका अर्थ व वर्णन जीवंत हो उठा है। बहुत अच्छी प्रस्तुति।
ReplyDeleteया देवी सर्वभूतेषु चेतनेत्यभिधीयते।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
नवरात्र के पावन अवसर पर आपको और आपके परिवार के सभी सदस्यों को हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई!
दुर्नामी लहरें, को याद करते हैं वर्ल्ड डिजास्टर रिडक्शन डे पर , मनोज कुमार, “मनोज” पर!
बहुत सुंदर प्रस्तुति ... मन की गहराई को छूने वाली ... शुभकामनाएं
ReplyDeleteआदरणीया संगीत जी, वंदना जी!!
ReplyDeleteआदरणीय मनोज जी, गौरव जी !!
आपसभी का आभार. पहले बात वंदना जी से, सच कहा आपने, यह रचना नुझे भी बहुत प्यारी है कारण इसमें आगे बढ़ने जोश, और उच्चतम बिंदु को प्राप्त किये बिना न थकने वाली जोश और उमंग है तो श्रद्धा की मर्यादा निभाते हुए सत्य को जानने का प्रबल आग्रह. वह भी नचिकेता की तरह मृत्यु को जानने, उसके स्वरुप. सत्यता को पहचानने की जिजीविषा दूसरी बात उसी मृत्यु को बौद्धिकता एवं समर्पण, संयुक्त परिवार की परंपरा निभाते हुए न केवल अपने पति को काल के गाल से छुडाया अपितु सास- श्वसुर का भी बराबर का ध्यान रखा. यह एक डूबती परम्परा है. जिसको भरपूर निभाया है सावित्री ने.
भाई मनोज जी!
आपने सही कहा पौराणिक प्रतीक का संकेतन पूरी कहानी कह देता है. गार्गी न केवाल विदुषी महिला है, अपितु न्याय प्रिय है और अपने हक के लिए शास्त्रार्थ करती है. वरिष्ठता के कारण याग्यवाल्क्य से बात ज्यादा नहीं बढाती उन्हें सम्मान देती है लेकिन अपनी क्षमता का बोध कराने बाद. यह एक प्रवृत्ति है जो अब नारी सशक्तिकारण के रूप में चर्चा और कार्य का विषय बना है. शेष सभी समालोचकों का आभार.....मै समझता हूँ इसमें सभी की जिज्ञासाओं का शमन हुआ होगा,.......
हां एक परिचय करना तो मै भूल ही गया 'भारती' का. जानते हैं आप ये कौन हैं? ठीक पहचाना आपने मंडन मिश्र जी की धमपतनी जिन्होंने मंडन मिश्र की हार के पश्चात आदि शंकाराचार्य से शास्त्रार्थ किया था
ReplyDeleteबहुत अच्छी प्रस्तुति। मेरा प्रणाम
ReplyDeleteपूछना है - कुछ 'प्रश्न' उनसे,
ReplyDeleteमन को 'नचिकेता' बना कर.
पाना है - 'वरदान' उनसे
तन को 'सावित्री' बनाकर.
और करना है- 'शास्त्रार्थ' उनसे,
बहुत ही सशक्त प्रस्तुति...आभार...
"ऊँचे शिखरों पर भी बैठा, पैठा भी गहरे पानी में|
ReplyDeleteजिन खोजा, तिन अभी समझ से ऊँचा, गहरा देख रहा हूँ ||"
आकुल प्राणों की अनवरत तलाश को रेखांकित करती
सुंदर काव्यमय रचना|सशक्त एवं सार्थक |
नवरात्रि की शुभकामनायें |
- अरुण मिश्र.
Dr. Rajensr tola ji, Bhaai K C Sharmaji, Arun Mishra ji
ReplyDeleteNamaskar awan aabaar. Again thanks for creative comments. These comments are my internal energy. seeing to all with me, is a ennergatik & hopeful for me. Again thanks.
बेहतरीन प्रस्तुति।
ReplyDeleteबेहद प्रभावित किया..........बधाई !!
Rajpoot Bhaai
ReplyDeleteMany Thanks for visit and comments.
डॉक्टर साहब,
ReplyDeleteहम हमारे ब्लॉग "मनोज" पर हर गुरुवार कोएक रचनाकी समीक्षा करते हैं। कल के आंच (स्तम्भ का नाम) के लिए इस रचना की अनुमति चाहता हूं।
मनोज जी के ब्लॉग से यहां पहुँचे। बहुत सुन्दर कविता। जितनी तारीफ़ की जाये कम है।
ReplyDeletebahut gahan aur sundar rachna!
ReplyDeleteछना है - कुछ 'प्रश्न' उनसे,
ReplyDeleteमन को 'नचिकेता' बना कर.
पाना है - 'वरदान' उनसे
तन को 'सावित्री' बनाकर.
और करना है- 'शास्त्रार्थ' उनसे,
"गार्गी' और 'भारती' बन कर. ... बहुत सुन्दर कविता.. विम्बओ मे बात हो रही है...
Neel Kamal ji, Anupma ji, Arjun Bhaai!
ReplyDeleteThanks for your kind visit and useful comments.