Sunday, October 3, 2010

परिभाषा न्यायाधीश की.

आज फिर याद आयी
कहानी मुंशी प्रेमचंद की.
एक बार फिर प्रमाणित हुयी
परिभाषा - 'न्यायाधीश'की.

पंच होता है - 'परमेश्वर'
उसकी जाति उसकी आस्था,
उसका मजहब उसका धर्म,
है मात्र और मात्र - 'न्याय'.

नहीं कर कर सकता वह
किसी के भी साथ - 'अन्याय',
क्योकि न्याय है- 'समग्रप्रेम',
न्याय है एक - 'आराधना'

न्याय है - 'एक साधना'
न्याय है एक - 'उपासना',
न्याय है इन के मूल में 'सना',
चाहे जैसी भी हो - 'संवेदना'.

न्याय कुर्सी पर बैठा इंसान
नहीं होता हिन्दू या मुस्लमान,
वह होता केवल - 'न्यायी इंसान,
'पंच परमेश्वर' और 'न्याय भगवान्'.

4 comments:

  1. सौ प्रतिशत सही ---पञ्च परमेश्वर

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  2. न्याय कुर्सी पर बैठा इंसान
    नहीं होता हिन्दू या मुस्लमान,
    वह होता केवल - 'न्यायी इंसान,
    'पंच परमेश्वर' और 'न्याय भगवान्'.
    सही कहा आपने। बहुत अच्छी लगी रचना। बधाई

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  3. बिल्कुल सही कहा आपने । अच्छी रचना ।

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  4. Thanks to all above for visit and comments.

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