जो निकलती है गोमुख
गंगोत्री से और
आकर नीचे हिमालय से
हरिद्वार - प्रयाग - काशी होते हुए
ऋषि - मुनियों के कुटीरों का
स्पर्श - संश्पर्शन करते हुए ..
जा मिलती है - सागर से.
और बन जाती है - "गंगा सागर".
गंगा हमारी संस्कृति है
जो विष्णु के नख से निःसृत हो
जा समाई ब्रह्मा के कमंडल में.
और जब निकली कमंडल से बन के,
वेगवती - रूपवती - प्रलयंकारी,
जा उलझी खुली जटाओं में शिव के.
इस प्रकार गंगा योजक है -
भारतीय संस्कृति के नियामक त्रिमूर्ति का.
हमारी आस्था - विश्वास और भावनाओं का.
गंगा है आस्था
और विश्वास का अटूट संगम,
केवल गंगाजल ही है समर्थ,
तारने मैं राजा सागर के भस्मीभूत
हो चुके सहस्रों लाडलो को.
इसलिए गंगावतरण बन गया था,
एक पवित्र मिशन भगीरथ के लिए.
भगीरथ की सफलता के बाद
गंगा बन गयी - 'भागीरथी'.
तारनहार और पालनहार!!
हो गयी सुलभ जनसामान्य के लिए,
और बन गयी है प्रबल केंद्र,
आस्था का, श्रद्धा का, विश्वास का ..
तारने मैं राजा सागर के भस्मीभूत
हो चुके सहस्रों लाडलो को.
इसलिए गंगावतरण बन गया था,
एक पवित्र मिशन भगीरथ के लिए.
भगीरथ की सफलता के बाद
गंगा बन गयी - 'भागीरथी'.
तारनहार और पालनहार!!
हो गयी सुलभ जनसामान्य के लिए,
और बन गयी है प्रबल केंद्र,
आस्था का, श्रद्धा का, विश्वास का ..
परन्तु, हाय रे नगरीय सभ्यता !
हाय रे भौतिकता की प्रगति !!
तूने तो सत्यानाश ही कर डाला,
सैकड़ों नाले - सीवर का मुह खोलकर,
कूड़ा - कचरा बहाकर इस पवित्र नदी में.
खून कर डाला है तूने, कोटिशः आस्थाओं का.
क्या हक है तुझे किसी की आस्था
और भावनाओं को कुचलने का?
किसने दिया तुझे यह अधिकार?
कुछ शर्म करो! तुझे धिक्कार!!
बार-बार और पुनः-पुनः धिक्कार!!
गंगावतरण विज्ञान है-
एक .सूत्र है भौतिकी का,
कहती है जिसे वह -"ओह्म्स ला".
उच्च वोल्टेज हिमालय (V) से
निम्न वोल्टेज गंगासागर के बीच
बहने वाली गंगा इस प्रवाह (I)
के परिपथ को जोडती है.
शिव की जटायें प्रतिरोध (R)
की भूमिका निभाते हुए
प्रदान करती है - 'वांछित धारा'.
उपयोगार्थ और प्रयोगार्थ.
साथ ही प्रदान करती है-
एक माडल - "ओह्म्स ला" के लिए.
;,
बहुत बढ़िया ....सहजता से कही बात गंगा आस्था और विश्वास तो है ही शायद विज्ञान भी..आपके काहे अनुसार ..
ReplyDeleteसुन्दर ,विज्ञान कविता !
ReplyDeleteमंगलवार 3 अगस्त को आपकी रचना ... चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर ली गयी है .कृपया वहाँ आ कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ .... आभार
ReplyDeletehttp://charchamanch.blogspot.com/
काव्य और विज्ञान का अनूठा संगम देखने को मिला आपकी रचना में...अद्भुत प्रयोग...वाह...वा...
ReplyDeleteनीरज
Sangeeta ji, Aevind ji, Neeraj Goswamiji
ReplyDeleteThanks to all for creative comments.