जीवन क्या है ?
जन्म से मृत्यु तक की
यात्रा या और भी कुछ ?
संस्कृति का वरदान,
या प्रकृति की नियति ?
यदि संस्कृति का वरदान है
तो ढेर सारे प्रश्न है -
समाधान हेतु; और
यदि प्रकृति की नियति है
तो, वहां प्रश्न कहाँ ?
और जहाँ प्रश्न नहीं,
वहां विचार कहाँ ? और
जहाँ विवेक - विचार नहीं,
तर्क - वितर्क नहीं;
वहां मानवता कहाँ ?
इंसानियत कहाँ ..?
सभ्यता कहाँ ....?
और मानवता विहीन,
नैतिकता से हीन
हम क्या हैं?
कहीं वही तो नहीं,
जिसे परिभाषित किया गया है -
"मनुष्यरूपेण मृगाश्चरन्ति" में.
क्या जीवन का प्रथम प्रश्न
औचित्य का प्रश्न नहीं है?
हाँ यही प्रथम प्रश्न है
और महत्वपूर्ण प्रश्न है,
जिसके समाधान हेतु
मानव का सम्पूर्ण जीवन;
अनवरत लगा हुआ है -
भूत से वर्तमान और
वर्तमान से भविष्यत तक.
समय विहंस रहा है;
दोनों को परख रहा है,
प्रकृति के सर्वश्रेष्ठ कृति पर,
जिसे अपने बुद्धि - विवेक,
ज्ञान -विज्ञान पर दंभ तो है,
परन्तु औचित्य के प्रश्न पर
चिन्तन - मंथन
अनवरत जारी है..........
यह भूत का प्रश्न था,
वर्तमान का प्रश्न है और,
भविष्यत का भी प्रश्न रहेगा.
समय सब कुछ निरख रहा है,
सूक्ष्म दृष्टि से परख रहा है;
दोनों में कितना है अंतर?
भली भांति यह समझ रहा है.
संस्कृति का वरदान -
औचित्य का परिणाम है,
यह मृत्यु को नकार,
मृत्युंजय बनने की प्रक्रिया है.
और प्रकृति की नियति -
उन्मुक्त काम - वासना ,
यौनपिपासा की कुत्सित विकृति है.
जीवन के इस कुरुक्षेत्र में, पुनः
आ डटे हैं - कौरव और पांडव,
परन्तु गीतामृत पान करानेवाला
वह दिव्य सारथि कहाँ है?
आज का अर्जुन तो व्यामोह में
खडा है, दायित्व और कर्त्तव्य के
द्वंद्व में आज भी फंसा है.
कालचक्र फिर घूमा है;
निर्णय अर्जुन को लेना है,
और आज,यदि द्वंद से
निकल नहीं पाया तो
इस वर्तमान का क्या अर्थ है?
फिर तो औचित्य का प्रश्न भी व्यर्थ है.
सुंदर रचना .. जीवन को कौन समझ पाया है ??
ReplyDeletelife is a stage
ReplyDeleteअत्यंत गहरी विवेचना !!!!!!! जीवन सबसे बड़ा प्रश्न ही तो है
ReplyDeleteमानव विवेकशील प्राणी है, वह जीवन के मर्म को समझ कर 'देव' रूप उत्थान अथवा विवेक को नकार कर 'दानव' रूप में पतन, दोनों ही स्थितियों को प्राप्त कर सकता है. मूल विवेक और यही औचित्य है. औचित्य का प्रश्न ही सद्ग्रंथों का विवेच्य है. औचित्य के प्रश्न को नहीं भूलना चाहिए.
ReplyDeletebahut khub
ReplyDeleteshandar rachna
Thanks all for creative comments
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