कविता तो मन की बेटी है
वह आह वाह में पैदा होती
कविता का दर्द से गहरा नाता
यह कविता दर्द से पैदा होती
...
वह आह वाह में पैदा होती
कविता का दर्द से गहरा नाता
यह कविता दर्द से पैदा होती
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प्रिय विछोह जब भी होता है
विरह काव्य वह रच जाता है
नहीं मिलते यदि शब्द उसे
पलकों से धीमे से बह जाता
उमंग - तरंग की बात अलग
इसमें भी कविता तैरती है
मन तक ही सीमित नहीं रहती
वह दिक् दिगंत तक फैलाती है
डॉ जयप्रकाश तिवारी
विरह काव्य वह रच जाता है
नहीं मिलते यदि शब्द उसे
पलकों से धीमे से बह जाता
उमंग - तरंग की बात अलग
इसमें भी कविता तैरती है
मन तक ही सीमित नहीं रहती
वह दिक् दिगंत तक फैलाती है
डॉ जयप्रकाश तिवारी
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