भोर का ताजगी भरा मौसम
जब चहचहाती हैं चिड़ियाँ,
जब फुदकती है गिलहरियाँ,
रंभाती हुई दौड़ती हैं गौएँ,
जब बरसात है पानी रिमझिम
मंद पवन से एक लय बनाकर,
जब विखेरता है उसे संगीतमय
प्राण शक्ति के रूप में तब वह
प्राण-वायु भागता है -'अवसाद'.
सारी उलझनें, सारी समस्याएं,
मन की निराशा और हताशा.
देता है वह एक अतिरिक्त ऊर्जा,
एक नवीन सोच, एक निदान,
एक समाधान उन अवसादों को
दूर भगाने, मिटाने के लिए
जिसे
थोप दिया था, रात के अँधेरे ने.
कमरे में चल रहे न्यूज चैनलों ने,
हमारी अपनी ही संवेदनाओं ने.
मुलायम विस्तार पर पड़ी हुयी
सुगन्धित फूलों के कंटकों ने.
भयावह स्वप्न ने भी
देखो क्या कमाल किया,
उसने तो भगा दिया था..
उस अन्तरंग मित्र को जो,
न जाने कब आ गयी थी
चुपके से, क्षणिक आराम पहुचाने,
थपथपाने, अपने गोद में सुलाने,
उस अन्तरंग मित्र, प्यारी नीद को.
लेकिन इस संगीतमय भोर ने
सोयी अन्तः प्रज्ञा जगा दिया,
प्रभात की ताजगी और रात्रि का,
सारा अंतर विधिवत बता दिया.
बहुत बेहतरीन प्रस्तुति|
ReplyDeleteनव-वर्ष की शुभकामनाये|
लेकिन इस संगीतमय भोर ने
ReplyDeleteसोयी अन्तः प्रज्ञा जगा दिया,
प्रभात की ताजगी और रात्रि का,
सारा अंतर विधिवत बता दिया.
वाह अति सुन्दर प्रभात का वर्णन
इश्वर से प्रार्थना है की नव वर्ष सभी के जीवन में खुशियाँ लायें.
.हिन्दू नव वर्ष(२३ मार्च २०१२ ) की अग्रिम बधाइयाँ..
बेहतरीन प्रस्तुति । मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है । . नव वर्ष -2012 के लिए हार्दिक शुभ कामनाएँ ।
ReplyDeleteबहुत सुंदर प्रस्तुती बेहतरीन रचना,.....
ReplyDeleteनववर्ष की हार्दिक शुभकामनाए..
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सार्थक और सामयिक पोस्ट, आभार.
ReplyDeleteनूतन वर्ष की मंगल कामनाओं के साथ मेरे ब्लॉग "meri kavitayen " पर आप सस्नेह/ सादर आमंत्रित हैं.
सार्थक सन्देश देती रचना,
ReplyDeleteThanks to all for kind visit and creative comments. Happy New year to all.
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