जिसने मुझको नाम दिया है,
बहुत बड़ा सम्मान दिया है.
है जो मेरे व्यक्तित्व का सर्जक,
सब कुछ मुझ पर वार दिया है.
उसी का तन मन अर्पित उसको
श्रद्धा सुमन समर्पित है उसको.
ये सब भी, अब कहाँ है मेरा.
सर्वस उसका नहीं कुछ मेरा.
उस सु-नामी का नाम मैं क्यों लूँ?
धो डाला कलुष कषाय जो मैला.
उसे अमूर्त-अनाम-अरूप रहने दो
क्यों करूँ विराट का रूप मैं बौना.
गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर समस्त गुरुओं को नमन।
ReplyDeleteरचना अच्छी लगी।
GURU PURNIMA KI BAHUT BAHUT BADHAI...
ReplyDeleteगुरु पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं
ReplyDeleteसुन्दर रचना ... गुरु पूर्णिमा की शुभकामनायें
ReplyDeleteबहुत भावपूर्ण प्रस्तुति ! सदगुरु को नमन !
ReplyDeleteअत्यंत सुन्दर रचना है और समयानुकूल भी , भारत की महान शिक्षा व्यवस्था पर एक और लेख यहाँ पर भी है इसे भी देखें
ReplyDeleteशिक्षा क्षेत्र में प्रस्तावित नयी कानूनी रचनाये ...
बहुत सुन्दर्………गुरु पूर्णिमा की शुभकामनायें
ReplyDeleteगुरु पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति.
ReplyDeleteगुरू पूर्णिमा की हार्दिक शुभ कामनाएँ.
सभी सुधी पाठकों / समीक्षकों का हार्दिक आभार.
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