पूछा है किसी ब्लोगर ने मुझसे,
चित्र में आप दुकेले क्यों हैं?
मैंने कहा ध्यान दो भाई!
छिपा है प्रश्न में, प्रश्न का उत्तर.
हम 'दो' हैं और हमीं 'अकेले',
मिलकर दोनों बने - 'दुकेले'.
केवल 'जय' मै, वे 'प्रकाश' हैं
नाम तभी तो जय प्रकाश है.
'शिव' अधूरा 'सती' बिना जब
'शक्ति' बिना वह 'शव' है.
है 'प्रकाश' सब उनसे ही,
वरना केवल 'जय' है.
करते पुष्टि शास्त्र सब इसकी,
कहते हो जिसको तुम 'ईश्वर'
बात अधूरी क्यों करते हो?
वह तो है - 'अर्द्ध नारीश्वर'.
आपने बिलकुल सही कहा है , प्रकृति के बिना पुरुष अकेला है , शक्ति के बिना शिव!
ReplyDeleteहम 'दो' हैं और हमीं 'अकेले',
ReplyDeleteमिलकर दोनों बने - 'दुकेले'.
केवल 'जय' मै, वे 'प्रकाश' हैं
नाम तभी तो जय प्रकाश है.
...vaah bilkul saji jabaab diyaa apne.
Dukele shabd ki aapne bahut hi sundar vyakhya ki hai....
ReplyDeletehttp://sharmakailashc.blogspot.com/
Anita ji, Arvind ji aur Sharma ji
ReplyDeleteSabhi ko namaskar, Thanks for comments
sir ji
ReplyDeletedhanya hai aapka lekhan jo aap apne prem ko jeevant kiye hue hai . aapne sach me shiv aur shakti ko paribhashit kiya hai . main to apko thanks kahne aaya tha aapke comment par jo aapne meri poem par kiya . lekin aaki is poem par kuchh likhe bina iske sath anyay ho jata .
god bless you with your divine soulmate
thanks
virender
virender.zte@gmail.com
Virendra Rawal ji
ReplyDeleteThanks for visit and comments
Bahut sundar..ishvar aap dono par sneh banaye rakhen
ReplyDeleteSandhya ji
ReplyDeleteThanks for participation and comments.
Bahut dinon ke baad aap se mulakat ho rahi hai. Aap swasth saanand rahen. Yahi kamna hai.