जिस कविता में कोई होश नही,
जिस कविता में कोई जोश नही,
जिस कविता में कोई प्यास नही,
जिस कविता में कोई आस नही,
जिस कविता में कोई हास्य नही,
वह कविता भी क्या कविता है?
जिस कविता में अनुराग नही,
जिस कविता में है आग नही,
जिस कविता में कोई जोश नही,
जिस कविता में कोई प्यास नही,
जिस कविता में कोई आस नही,
जिस कविता में कोई हास्य नही,
वह कविता भी क्या कविता है?
जिस कविता में अनुराग नही,
जिस कविता में है आग नही,
जिस कविता से हो विराग नहीं,
जिस कविता में कोई चिराग नही,
जिस कविता में कोई स्वाद नही,
वह कविता भी क्या कविता है?
जिस कविता में हो शक्ति नही,
जिस कविता में हो भक्ति नही,
जिस कविता में अनुरक्ति नही,
जिस कविता में अभिव्यक्ति नही,
जिस कविता से हो विरक्ति नही,
वह कविता भी क्या कविता है?
जिस कविता में कोई आह नही,
जिस कविता में कोई वाह नही,
जिस कविता में कुछ स्याह नही,
जिस कविता में कोई सुझाव नही,
जिस कविता में कोई सलाह नही,
वह कविता भी क्या कविता है?
जिस कविता में कोई रंग नही,
जिस कविता से उठे तरंग नही,
जिस कविता में जीने का नही,
जिस कविता में कोई उमंग नही,
जिसे पढकर हो कोई दंग नहीं,
वह कविता भी क्या कविता है?
जिस कविता में कोई जागृति नही,
जिस कविता की कोई आकृति नही,
जिस कविता की कोई स्वीकृति नही,
जिस कविता में हो प्रकृति नही,
जिस कविता झलके संस्कृति नही,
वह कविता भी क्या कविता है?
जिस कविता में व्याकुलता नही,
जिस कविता में आकुलता नही,
जिस कविता में अनुकूलता नही,
जिस कविता में चंचलता नही,
जिस कविता में समरसता नही,
वह कविता भी क्या कविता है?
जिस कविता में इतिहास नही,
जिस कविता में परिहास नही,
जिस कविता में उपहास नही,
जिस कविता में आकाश नही,
जिस कविता से हो प्रकाश नही,
वह कविता भी क्या कविता है?
जिस कविता में कोई चिराग नही,
जिस कविता में कोई स्वाद नही,
वह कविता भी क्या कविता है?
जिस कविता में हो शक्ति नही,
जिस कविता में हो भक्ति नही,
जिस कविता में अनुरक्ति नही,
जिस कविता में अभिव्यक्ति नही,
जिस कविता से हो विरक्ति नही,
वह कविता भी क्या कविता है?
जिस कविता में कोई आह नही,
जिस कविता में कोई वाह नही,
जिस कविता में कुछ स्याह नही,
जिस कविता में कोई सुझाव नही,
जिस कविता में कोई सलाह नही,
वह कविता भी क्या कविता है?
जिस कविता में कोई रंग नही,
जिस कविता से उठे तरंग नही,
जिस कविता में जीने का नही,
जिस कविता में कोई उमंग नही,
जिसे पढकर हो कोई दंग नहीं,
वह कविता भी क्या कविता है?
जिस कविता में कोई जागृति नही,
जिस कविता की कोई आकृति नही,
जिस कविता की कोई स्वीकृति नही,
जिस कविता में हो प्रकृति नही,
जिस कविता झलके संस्कृति नही,
वह कविता भी क्या कविता है?
जिस कविता में व्याकुलता नही,
जिस कविता में आकुलता नही,
जिस कविता में अनुकूलता नही,
जिस कविता में चंचलता नही,
जिस कविता में समरसता नही,
वह कविता भी क्या कविता है?
जिस कविता में इतिहास नही,
जिस कविता में परिहास नही,
जिस कविता में उपहास नही,
जिस कविता में आकाश नही,
जिस कविता से हो प्रकाश नही,
वह कविता भी क्या कविता है?
जिसे पढकर हो कोई दंग नहीं,
ReplyDeleteवह कविता भी क्या कविता है? मै आप से शत प्रतिशत सहमत हूँ |एक सुंदर रचना , बधाई
Sunil ji
ReplyDeleteThanks for creative comments and support.