ऐसे भी क्षण
आये हैं जीवन में....,
जब ......वर्दी की लाज ......
किसी अपराधी ने बचाया है.
अपराधी तो उस इन्सान को
'इनकी' ....और .....'उनकी'
गठजोड़ ने बनाया है.
अपराधी की इंसानियत,
उसके अन्दर की मानवता
तो फिर भी.....
जाग उठती है कभी न कभी,
परन्तु मित्रों!
खादी की नीयति,
अभियंता की तकनीक,
डॉक्टर की सिरिंज,
शिक्षक की शिक्षा और
खाकी के सेवा भाव में
खोट क्यों है?
ऐसा नहीं है कि खादी वालों में,
संवेदनशील नेता नहीं हैं .
खाकी वालों में कानून के रखवाले,
देश के सच्चे सपूत नहीं है.
कुशल अभियंता, समर्पित चिकित्सक
और योग्य अध्यापक नहीं हैं,
परन्तु अफ़सोस .......
आज वे आज हासिये पर
क्यों ...हैं..?
लाख योग्यताओं के बावजूद.
वे फ्रोन्टफूट के बजाय
बैकफूट पर क्यों हैं?
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