Monday, January 26, 2015

कविता तो मन की बेटी है

कविता तो मन की बेटी है
वह आह वाह में पैदा होती
कविता का दर्द से गहरा नाता
यह कविता दर्द से पैदा होती
...
प्रिय विछोह जब भी होता है
विरह काव्य वह रच जाता है
नहीं मिलते यदि शब्द उसे
पलकों से धीमे से बह जाता

उमंग - तरंग की बात अलग
इसमें भी कविता तैरती है
मन तक ही सीमित नहीं रहती
वह दिक् दिगंत तक फैलाती है

डॉ जयप्रकाश तिवारी

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