Tuesday, March 1, 2011

काल और महाकाल




क्या है - 'काल'?
घडी की माप?
पल - विपल...,
गणना या चाप?
जब घडी नहीं थी
घड़ीसाज नहीं था,
नहीं था कैलेण्डर
कोई पञ्चांग नहीं था.

जब नहीं थी नदी,
और पर्वत नहीं था.
पृथ्वी, पवन, आकाश
कुछ भी नहीं था.
सोचो तब भी -
क्या काल विद्यमान
नहीं था.....?

भूत,  वर्तमान 
और भविष्यत
यह तो दृश्य हैं,
काल खण्ड हैं.
काल तो है -
इन सबका द्रष्टा.
काल ही है -
इन सबका स्रष्टा.

सबसे अलग और 
सम्मिलित सब में,
अमूर्त रूप वह
सर्व अखंड है.
भक्तों के हित
मूर्तरूप में
वही स्थापित
विग्रहरूप सपिंड है. 
कहलो समय या 
'महाकाल' उसे,
वह युग्मरूप
शिवलिंग है.