Sunday, June 26, 2011

ख़ुशी

यह ख़ुशी भी
क्या चीज है भाई!
जिसे देखता हूँ
वही ढूंढता है...
नहीं मिलता तो
उसे छीनता है.
वह मुरख बेचारा
इतना भी न जाने
जिसे ढूंढता है,
जिसे छीनता है,
नहीं है ख़ुशी
वह जिसे छीनता है.

यह ख़ुशी
ढूँढने और छिनने
की वस्तु नहीं है,
यह अपने ही मन
की एक स्थिति है.
यह मिलती करम से
धरम से मिलती है.
यह खजाना तेरे
आचरण में निहित है.

अगर चाहते हो
ख़ुशी मेरे भाई!
तुम बाटो ख़ुशी को,
इसी में भलाई .
गर बांटोगे गम तो
मिलेगा वही गम,
बांटोगे ख़ुशी तो
मिलेगी ख़ुशी ही.

ये ख़ुशी छोटी -छोटी
जो तुम बाँटते हो,
ये वापस मिलेगी
कई गुना बन के.
खजाना कोई रहे न रहे,
यह खजाना ख़ुशी का
रहेगा हमेशा तेरे दिल में.