Wednesday, July 20, 2016

दर्द की भाषा-परिभाषा (२)


क्या दर्द वही
जो छलक पडे?
क्या दर्द वही 
जो लोचन बहे?
क्या दर्द वही
जिससे गुबार
यदि दर्द यही,
तो क्या है वह?
अंतर में जो
घुटता रहता है
आता ही नहीं
जो बाहर को
विदग्ध लहर
जो रहता है
पी नयनों का
जल खारा
शुष्क किये
जो रहता है.
(क्रमशः जारी)
डॉ जयप्रकाशतिवारी