Saturday, February 19, 2011

सखी मधुमास आयो री


सखी! मधुमास आयो री
झूम रही गेहूं की बाली,
पीली सरसों झूम रही है.
अरहर अलसी चना मटर
सब खोले बाहें लिपट रही है.

धरती ने ओढ़ी धानी चूनर
पवन को सूझी नयी शरारत
कभी तेज कभी मंद-मंद बह
देखो विजन डुलाय रहा है.
यह कौन कर रहा देखो इशारा ?
संकेत पर किसके प्यारा घूंघट 
यह धरती का अब उठा रहा है.

खेतखलिहान में जुटा कृषक भी
गीत - बासंती गुनगुना रहा है
होली गीत का प्यारा सा मुखड़ा 
हे सखी! किसे ये सुना रहा है ?
देख सखी! मै सच कहती हूँ..,
मधुमास का ऋतु आ गया है.