Friday, July 15, 2011

गुरु पूर्णिमा पर्व

जिसने मुझको नाम दिया है,
बहुत बड़ा सम्मान दिया है.
है जो मेरे व्यक्तित्व का सर्जक,
सब कुछ मुझ पर वार दिया है.

उसी का तन मन अर्पित उसको
श्रद्धा सुमन समर्पित है उसको.
ये सब भी, अब कहाँ है मेरा.
सर्वस उसका नहीं कुछ मेरा.

उस सु-नामी का नाम मैं क्यों लूँ?
धो डाला कलुष कषाय जो मैला.
उसे अमूर्त-अनाम-अरूप रहने दो
क्यों करूँ विराट का रूप मैं बौना.

10 comments:

  1. गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर समस्त गुरुओं को नमन।
    रचना अच्छी लगी।

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  2. गुरु पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं

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  3. सुन्दर रचना ... गुरु पूर्णिमा की शुभकामनायें

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  4. बहुत भावपूर्ण प्रस्तुति ! सदगुरु को नमन !

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  5. अत्यंत सुन्दर रचना है और समयानुकूल भी , भारत की महान शिक्षा व्यवस्था पर एक और लेख यहाँ पर भी है इसे भी देखें
    शिक्षा क्षेत्र में प्रस्तावित नयी कानूनी रचनाये ...

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  6. बहुत सुन्दर्………गुरु पूर्णिमा की शुभकामनायें

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  7. गुरु पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं

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  8. सुन्दर प्रस्तुति.
    गुरू पूर्णिमा की हार्दिक शुभ कामनाएँ.

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  9. सभी सुधी पाठकों / समीक्षकों का हार्दिक आभार.

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