Friday, September 24, 2010

धर्म नहीं बदनाम करेंगे

आज पितृपक्ष का पहला दिन है. यह कोई त्यौहार नहीं एक उपहार है. हम अपने लिए तो जन्मदिन से विवाह दिन.....न जाने और क्या- क्या मानते है आज अपने अग्रज, अपने पूर्वजों को तो याद कर लिया जाय जिन्होंने इतनो अच्छी विरासत...संस्कृति, संस्कार और विज्ञानं.. प्रदान किया हमारी सुख शांति और ऐश -ओ-आराम के लिए. पर सच बोलिए हम हों या आप कितना याद करते हैं उन्हें........? आज से प्रारंभ हुआ पितृपक्ष उन्ही के लिए है.... इस व्यवस्था को जिसने भी बनाया हो, लागू किया हो, बड़ा उपकार किया मानव समाज पर. पूर्वजो को सबसे उत्तम श्रद्धांजलि तो यह होगी की हम पुत्र - पुत्र - प्रपौत्र...के रूप में ऐसा कोई काम न करें जिससे उनके नाम के साथ हमारा नाम जोड़कर बदनाम किया जाय. यह संकल्प आज बहुत ही महत्वपूर्ण होगा. श्रद्धांजलि देंगे हम उनको और लाभ होगा हमारा. विकास होगा हमारा, प्रगति और उन्नयन होगा हमारा. तो इससे अच्छी बात और क्या हो सकती है.............आइये याद करते हैं अपने प्रथम पूर्वज को ...... जिन्हें हम ईश्वर भगवान्...खुदा ...जो भी नाम दे..

आखिर इस सच्चाई को
हम समझ क्यों नहीं पाते ?
धर्म - कर्म - कला - संगीत
गीता - पुराण - कुरान.
दर्शन -चिंतन -ज्ञान - विज्ञानं
सभी में ज्ञान प्रभु का है.


नज्म - ग़ज़ल -अफसाना
गीत - भजन - कव्वाली
तर्ज अलग है राग अलग
पर भाव सभी में प्रभु का है.


कैसा - कैसा नाम दिया है
हमने प्रभु तुमको बाँट दिया है.
कैसे हैं नादान मूर्ख हम
तुमको भी यह संताप दिया है.


मगर आज जब बैठ गए हैं
करने चर्चा मेरे मालिक !
अबकी सद्ज्ञान हमें दे दो
कितनों को तो हर बार दिया है.


हम अपना उत्कर्ष करेंगे
चिंतन और विमर्श करेंगे
अब तक चाहे जितना खोया
अब से हम उत्थान करेंगे
धर्म नहीं बदनाम करेंगे
हाँ धर्म नहीं बदनाम करेंगे.

11 comments:

  1. हम अपना उत्कर्ष करेंगे
    चिंतन और विमर्श करेंगे
    ये होना चाहिए मूल मंत्र , मानव जाति के विकास का . साधुवाद इस अद्भुत चिंतन के लिए.

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  2. प्रणाम !!
    हम अपना उत्कर्ष करेंगे
    चिंतन और विमर्श करेंगे
    अब तक चाहे जितना खोया
    अब से हम उत्थान करेंगे
    धर्म नहीं बदनाम करेंगे
    हाँ धर्म नहीं बदनाम करेंगे.
    इन पंक्तियों ने विशेष रूप से प्रभावित किया, इस बेहद सार्थक पोस्ट के लिए मेरी ओर से बधाई स्वीकार करें |

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  3. बहुत सुन्दर संदेश देती प्रस्तुति।

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  4. बेहद सार्थक पोस्ट

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  5. प्रेरणा और सन्देश देती अच्छी रचना ...

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  6. प्रेरणादायी पोस्‍ट। पितृपक्ष के बारे में अभी अवधियाजी की पोस्‍ट पर टिप्‍पणी की है। आपने भी की है अत: मेरा भाव आप समझ ही जाएंगे।

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  7. नमस्कार!!
    सभी सम्मानित सहयोगियों का हार्दिक आभार जिन्होंने न केवल ब्लॉग को पढ़ा बल्कि माय्व्पूर्ण सुझाव भी दिए. सभी का एकबार पुनः आभार. ऐसे ही समालोचना और समीक्षा लिखने को प्रेरित करता है.

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  8. सुन्दर सार्थ प्रेरणा देती रचना के लिये बधाई।

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  9. हम अपना उत्कर्ष करेंगे
    चिंतन और विमर्श करेंगे
    अब तक चाहे जितना खोया
    अब से हम उत्थान करेंगे
    धर्म नहीं बदनाम करेंगे
    हाँ धर्म नहीं बदनाम करेंगे.
    बहुत ही ऊंचे और सारगर्भित विचारों को आपने इस लेख में प्रस्तुत किया है। हार्दिक शुभकामनायें।

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  10. निर्मला कपिला ji
    JHAROKHA ji

    Thanks for visit and creative comments.

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  11. कैसा - कैसा नाम दिया है
    हमने प्रभु तुमको बाँट दिया है.
    कैसे हैं नादान मूर्ख हम
    तुमको भी यह संताप दिया है.....
    सत्य को बहुत ही स्पष्ट रूप से चित्रित किया है......धर्म के नाम पर भेदभाव बढ़ानेवाले लोगों के लिए एक बहुत अच्छा सन्देश.....आभार..

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