pragyan-vigyan
Monday, September 20, 2010
आत्मोन्नति का मन्त्र
सच को
सच की तरह
कहने का साहस,
और सच को
सच की तरह
सुनने की कला.
यथार्थ को स्वीकार
और दोष को अंगीकार
करने का गुण
जिस दिन
सीख ले मानव
उस दिन नहीं -
तत्क्षण ही
बन जाएगा
वह मानव से
महामानव
समग्र मानव
देव मानव.
क्योकि
वास्तविक कठिनाई
धब्बों की धुलाई
में नहीं है
समस्या के
निराकरण
में भी नहीं है.
कठिनाई तो
धब्बों का
अस्तित्व
स्वीकारने में है
निराकरण को
शिरोधार्य करने में
आनेवाली शर्म और
झुझलाहट का है.
Newer Posts
Older Posts
Home
View mobile version
Subscribe to:
Posts (Atom)