tag:blogger.com,1999:blog-6518481384405784783.post6233331808405120302..comments2023-09-19T15:06:11.658+05:30Comments on pragyan-vigyan: निहितार्थ पूजन-वंदन का Dr.J.P.Tiwarihttp://www.blogger.com/profile/10480781530189981473noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-6518481384405784783.post-73077601478306437522013-04-14T13:48:12.460+05:302013-04-14T13:48:12.460+05:30प्राप्तव्य था, निहितार्थ जो,
प्राप्तव्य था, पुरु...प्राप्तव्य था, निहितार्थ जो, <br />प्राप्तव्य था, पुरुषार्थ जो,<br />जिंदगी में, उसको हमने <br />क्या कभी स्थान दी है? ...<br /><br />सहमत आपकी बात से पूर्णतः .... बस ऊपरी बातें करते हजें हम ... जीवन में स्थान नहीं देते ऐसी की बात को ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6518481384405784783.post-20268240051913537082013-04-12T21:36:47.210+05:302013-04-12T21:36:47.210+05:30हम वंदना के गीत
जो गाते रहे हैं,
अर्चना के छंद
जो ... हम वंदना के गीत<br />जो गाते रहे हैं,<br />अर्चना के छंद<br />जो अपनाते रहें हैं,<br />बात जो अभिव्यक्ति में<br />संचित वहां पर,<br />क्या आचरण में हम<br />उसे अपनाने लगे हैं?<br /><br /><b><i>बहुत बढ़िया उम्दा लाजबाब प्रस्तुति,आभार डा0 साहब </i></b><br /><br /><b>Recent Post </b><a href="http://dheerendra11.blogspot.in/2013/04/blog-post_12.html#links" rel="nofollow">: अमन के लिए.</a>धीरेन्द्र सिंह भदौरिया https://www.blogger.com/profile/09047336871751054497noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6518481384405784783.post-65993581063113111512013-04-12T20:18:57.131+05:302013-04-12T20:18:57.131+05:30वंदना और अर्चना के
शब्द में अन्तर्निहित,
जो भावना,...वंदना और अर्चना के<br />शब्द में अन्तर्निहित,<br />जो भावना, उस भाव पर<br />क्या कभी कुछ ध्यान दी है?<br /><br />...बहुत सुन्दर और सार्थक प्रस्तुति...आभार Kailash Sharmahttps://www.blogger.com/profile/12461785093868952476noreply@blogger.com