tag:blogger.com,1999:blog-6518481384405784783.post6164006418163529870..comments2023-09-19T15:06:11.658+05:30Comments on pragyan-vigyan: काव्य-संग्रह ‘कस्तूरी’: जैसा मैंने समझा (भाग - १)Dr.J.P.Tiwarihttp://www.blogger.com/profile/10480781530189981473noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-6518481384405784783.post-31557734862153135002012-09-06T00:59:21.274+05:302012-09-06T00:59:21.274+05:30‘जिंदगी के सफर में / खुशियों का कोई नगर है / जिसकी...‘जिंदगी के सफर में / खुशियों का कोई नगर है / जिसकी तलाश में निकले हैं / जाने वो किधर है / जाने वो किधर है...”<br /><br />यही है कस्तूरी जिसकी खोज में आज भी इन्सान भचक रहा है वह खुशी का स्त्रोत जो उसके पास ही है उसके लिये एक वैसा नगर बसा सकता है इसका उसे पत ही नही ।<br />बहुत सुंदर समीक्षा ।Asha Joglekarhttps://www.blogger.com/profile/05351082141819705264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6518481384405784783.post-7543644688622598782012-09-04T14:08:51.139+05:302012-09-04T14:08:51.139+05:30 Bahut hi khoobsurat lafzo se aapne KASTURIE ki s... Bahut hi khoobsurat lafzo se aapne KASTURIE ki sameeksha karni shuru ki hai ....... waiting for mor n more pages ...... नीलिमा शर्मा Neelima Sharma https://www.blogger.com/profile/15015116506093296186noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6518481384405784783.post-6614866691346541522012-09-04T13:45:43.165+05:302012-09-04T13:45:43.165+05:30mere pass shabdo ki kami hain, kya kahun... samajh...mere pass shabdo ki kami hain, kya kahun... samajh nahi pa raha.. aapne to iss kasturi ke sugandh me char chand laga diye...<br />abhaar sir!!मुकेश कुमार सिन्हाhttps://www.blogger.com/profile/14131032296544030044noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6518481384405784783.post-56742973053022905612012-09-04T13:34:40.130+05:302012-09-04T13:34:40.130+05:30‘कस्तूरी’ मृग की नाभिक में ही अवस्थित होता है परन्...‘कस्तूरी’ मृग की नाभिक में ही अवस्थित होता है परन्तु उसकी सुगंध से सुवासित हो मृग-मन भटकता रहता है जंगल में दरबदर, इस कोने से उस कोने तक. उसी कस्तूरी की तलाश में काव्य संग्रह ‘कस्तूरी’ में भटक रहे हैं ब्लाग जगत के श्रेष्ठ युवा चिन्तक-कवि. प्रथम जिज्ञासा तो यही है कि वह कौन सा तत्व है जिसे इन चितकों ने ‘कस्तूरी-तत्व’ की संज्ञा दी है, उस कस्तूरी तत्व की पहचान करना आवश्यक है. संख्या की दृष्टि से इन अन्वेषी चिंतकों की संख्या २४ है. आध्यात्मिक दृष्टि से २४ की संख्या अत्यंत महत्वपूर्ण है, सुप्रसिद्ध गायत्री महामंत्र में २४ अक्षर हैं. २४ घंटे मिलकर दिवस और रात्रि का एक आयाम पूर्ण करते है. समाज की सर्जनात्मक प्रवृर्त्तियाँ ही दिवस है तथा नकारात्मक विध्वसत्मक प्रवृर्त्तिया ही रात्रि. इस सन्दर्भ में दूसरी जिज्ञासा यह है कि ये २४ युवा चिन्तक जिस कस्तूरी-तत्व की खोज में हैं, क्या उन्हें इसकी प्राप्ति हुई अथवा ये अभीतक भटक ही रहे हैं, कानन मृग की तरह..........<br />समीक्षा जो सही मायनों में अर्थ दे जाए , आपकी श्रेष्ठता आपकी कलम है . मूर्ति बनाना और उसमें प्राणप्रतिष्ठा - दो अलग आयाम हैं रश्मि प्रभा...https://www.blogger.com/profile/14755956306255938813noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6518481384405784783.post-74261636555538544312012-09-04T12:29:32.091+05:302012-09-04T12:29:32.091+05:30सुंदर समीक्षा के लिये,,,,बधाई,,
RECENT POST-परिकल...सुंदर समीक्षा के लिये,,,,बधाई,,<br /><br />RECENT POST<a href="http://dheerendra11.blogspot.in/2012/08/blog-post_30.html#links" rel="nofollow">-परिकल्पना सम्मान समारोह की झलकियाँ,</a>धीरेन्द्र सिंह भदौरिया https://www.blogger.com/profile/09047336871751054497noreply@blogger.com