tag:blogger.com,1999:blog-6518481384405784783.post4427871762435410385..comments2023-09-19T15:06:11.658+05:30Comments on pragyan-vigyan: प्रेम तो निर्मल दिव्य तरंग है.Dr.J.P.Tiwarihttp://www.blogger.com/profile/10480781530189981473noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-6518481384405784783.post-15032670239151977082012-01-28T11:33:13.592+05:302012-01-28T11:33:13.592+05:30सभी आगंतुकों का आभार, और उनके सकारात्मक विचारों का...सभी आगंतुकों का आभार, और उनके सकारात्मक विचारों का स्वागतDr.J.P.Tiwarihttps://www.blogger.com/profile/10480781530189981473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6518481384405784783.post-39197420182918217502012-01-26T09:44:09.786+05:302012-01-26T09:44:09.786+05:30जो किया प्रेम का है वर्णन,
वह है सटीक औ है विस्तृ...जो किया प्रेम का है वर्णन,<br />वह है सटीक औ है विस्तृत।<br />शायद उनको कुछ लाभ मिले,<br />जो हुये प्रेम में युवक भ्रमित।<br />मेरी बधाई स्वीकार करें,<br />कविता सराहनिय है निश्चित।<br />कृपया इसे भी पढ़े-<br /><a href="http://dineshjanjagrati.blogspot.com/" rel="nofollow">क्या यही गणतंत्र है</a>dinesh aggarwalhttps://www.blogger.com/profile/18216221541613478194noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6518481384405784783.post-65386643087705126892012-01-23T22:03:28.349+05:302012-01-23T22:03:28.349+05:30प्रेरक रचना,पंक्तियाँ बहुत ही अच्छी लगी,...तिवारी ...प्रेरक रचना,पंक्तियाँ बहुत ही अच्छी लगी,...तिवारी जी बधाई स्वीकारें <br />बेहतरीन पोस्ट....<br />WELCOME TO new post<a href="http://dheerendra11.blogspot.com/2012/01/blog-post_18.html#links" rel="nofollow">...वाह रे मंहगाई...</a>धीरेन्द्र सिंह भदौरिया https://www.blogger.com/profile/09047336871751054497noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6518481384405784783.post-34879726092072618242012-01-23T17:58:42.466+05:302012-01-23T17:58:42.466+05:30जो धार प्रेम की बहता है,
वह सृजन कार्य को करता है....जो धार प्रेम की बहता है,<br />वह सृजन कार्य को करता है.<br />प्रेम तो है स्वभाव से योजक,<br />ध्वंश नहीं वह करता है.<br /><br />इस प्रेम को शत शत नमन ! बहुत प्रेरक कविता!Anitahttps://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6518481384405784783.post-3168813752340501272012-01-23T11:52:07.069+05:302012-01-23T11:52:07.069+05:30आदरणीय श्री जे.पी.तिवारी जी, सर्वप्रथम आपको मेर प्...आदरणीय श्री जे.पी.तिवारी जी, सर्वप्रथम आपको मेर प्रणाम स्वीकार हो I<br />आभारी हूँ आपका जो आपने मेरे ब्लाग पर अपने अनमोल विचार प्रकट<br />किये I उम्मीद करता हूँ भविष्य में भी आप मेरा उत्साहवर्धन करते रहेंगे I<br />मेरे ब्लाग पर आपका सर्वदा स्वागत है I<br />आपका शुभचिन्तक,<br />सुरेश कुमारSuresh Kumarhttps://www.blogger.com/profile/14504076036909555558noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6518481384405784783.post-71651336573851141832012-01-23T08:56:18.075+05:302012-01-23T08:56:18.075+05:30आभार आप दोनों मनीषियों का, सकारात्मक एवं उत्साह वर...आभार आप दोनों मनीषियों का, सकारात्मक एवं उत्साह वर्द्धक तिपन्नियों का.Dr.J.P.Tiwarihttps://www.blogger.com/profile/10480781530189981473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6518481384405784783.post-68399312645707485702012-01-23T08:40:56.817+05:302012-01-23T08:40:56.817+05:30जब बात स्वतन्त्रता की आयी,
मानव करता है प्रायः दुर...जब बात स्वतन्त्रता की आयी,<br />मानव करता है प्रायः दुरुपयोग.<br />कुछ ही होते इतने सुलझे,<br />जो करते इसका सदुपयोग...<br /><br />खुबसूरत लाइने , <br />बहुत सुंदर रचनाRajputhttps://www.blogger.com/profile/08136572133212539916noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6518481384405784783.post-68501017388304521652012-01-22T20:58:34.556+05:302012-01-22T20:58:34.556+05:30सदुपयोग इसे जो करते हैं,
अलौकिक रूप विचरते हैं.
नह...सदुपयोग इसे जो करते हैं,<br />अलौकिक रूप विचरते हैं.<br />नहीं मानते अनुचित नियम,<br />वे तो धार में प्रेम के बहते हैं.<br /><br />आपकी अनुपम प्रस्तुति संग्रहणीय है.<br />सुंदर प्रेरक प्रस्तुति के लिए हार्दिक आभार,तिवारी जी.<br /><br />मेरे ब्लॉग पर आईयेगा.<br />आपका दर्शन और सुवचन मेरा मनोबल बढ़ाते हैं.Rakesh Kumarhttps://www.blogger.com/profile/03472849635889430725noreply@blogger.com